देवयानी के अनेक मंदिरों मैँ भी लगायी गयी घटिया निर्माण सामग्री
पुरातत्व विभाग के ठेकेदार ने निम्न स्तर का काम कर भगवान के भी चूना लगाया
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। ऐतिहासिक व प्राचीन नगरी में मौजूद सैंकड़ों वर्ष पुराने धार्मिक स्थलों की खोयी आभा लौटाने के लिये प्रदेश सरकार ने खुले दिल से करोड़ों रूपये का बजट आवण्टन कर पर्यटन व पुरातत्व विभाग को जो काम विगत वर्षों में सौंपा था उसमे केवल मात्र लीपापोती ही कर न वरन सरकार की आंखों में धूल झौंकने का काम किया है बल्कि लोगों की आस्था के केन्द्र रहे यहां के धार्मिक स्थलों में विभाग की लापरवाही व मिलीभगत के कारण ठेकेदार ने भी घटिया सामग्री का जमकर इस्तेमाल कर भगवान को ही चूना लगाने का काम कर आने वाले श्रद्धालुओं व भक्तों की भावनाओं से जबरदस्त खिलवाड़ किया है।
हकीकत तो यह भी है सांभर के प्राचीन चारभुजा मंदिर में न वरन करवाया गया काम गुणवत्ता से हुआ बल्कि जिस हिसाब से बजट आवण्टन करना बताया गया उसके मुताबिक यदि काम होता तो शायद यहां के मंदिरों की खोयी आभा लौट सकती थी। प्राचीन मंदिरों में शुमार चारभुजा मंदिर भी इससे अछूता नहीं है, इसकी भी दीवारें फट चुकी है, रंग रोशन तो काफी समय पहले ही गायब हो चुका है, मंदिर के प्रवेश द्वार को वास्तुशास्त्र के अनुसार नहीं बनाकर उसके अस्तित्व को ही बिगाड़ कर रख दिया गया है, लेकिन इस बात की जानकारी होने के बाद भी कि यहां के करीब बीस से अधिक मंदिरों में पर्यटन व पुरातत्व विभाग की ओर से जो काम करवाया जा रहा है वह पूरी तरह से एक औपचारिकता भर ही साबित हो रहा है, उसके बावजूद भाजपा व कांग्रेस के नेताओं, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संस्थाओं की ओर से न इस कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ एक स्वर में आवाज उठायी गयी और न ही सरकार को अवगत कराया गया कि सांभर के मंदिरों के लिये करोड़ों रूपये के फण्ड की किस प्रकार से बर्बादी हो रही है, बल्कि सभी लोग चुपचाप विभाग व उसके ठेकेदार की ओर से करवाये गये जीर्णोद्धार कार्य पर परदा ही डालने का काम करते रहे, यह बात अलग है कि मंदिरों के पुजारियों की ओर से घटिया काम को लेकर आक्षेप लगाये गये तो उनकी अनसुनी कर दी गयी।
विधायक व विपक्ष के नेताओं का इस प्रकार चुप्पी साधने से नतीजा यह सामने आया कि सांभर में विकास के नाम पर जो धन खर्च किया गया उसके सही मायने में परिणाम निकल कर नहीं आ सके। बता दें कि महाभारत ग्रंथ में वर्णित देवयानी तीर्थ स्थल के घाट पर मौजूद विभिन्न देवी देवताओं के प्राचीन मंदिरों में अंदर व बाहर करवाया गया काम अब पूरी तरह से तमाम हो चुका है, लगता ही नहीं है कि करोड़ों रूपये जीर्णोद्धार, रंगरोशन आदि पर खर्च भी हुये है, लेकिन एक बात और है कि सांभर में इतना बड़ा प्राेजेक्ट पर काम हुआ लेकिन सरकार के स्तर से यदि समय समय पर इसकी मौनिटरिंग होती रहती तो उसी वक्त दोनों ही विभाग के काम करने वाले अधिकारियों व कार्यकारी एजेंसी पर शिकंजा कसा जा सकता था, लेकिन सरकार की अनदेखी भी इसका बड़ा प्रमुख कारण रहा है। लिखने योग्य है कि सांभर में जितने भी लाॅकल नेता है हकीकत में न तो उनकी सरकार तक पहुंच है और न ही उनमें इतना बड़ा दमखम है जिसके बल पर वे इसकी उच्च स्तरीय जांच करवा कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करवा सके, लिहाजा आज भी सांभर के अनेक धार्मिक स्थल अपनी पुरानी अवस्था में ही दिखायी दे रहे है।