इंदिराजी ने हमेशा सेकुलरिज्म और कौमी एकता की मजबूती के लिए काम किया : डॉ. बी.डी. कल्ला

राजस्थान उर्दू अकादमी की ओर से इंदिरा गांधी जयंती पर कुल हिंद मुशायरा

देश के नामचीन शायरों ने पेश की देशभक्ति की रचनाएं

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जयपुर। राजस्थान सरकार के कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि देश की पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न इंदिरा गांधीजी ने देश में सेकुलरिज्म और कौमी एकता की मजबूती के लिए अपने जीवन में अविस्मरणीय कार्य किया, यही उनके लिए जिंदगी का मकसद था और इसके लिए ही उन्होंने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

डाॅ. कल्ला जयपुर में राजस्थान उर्दू अकादमी की ओर से कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग व रवीन्द्र मंच के तत्वावधान में पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधीजी की जयंती पर आयोजित कुल हिन्द मुशायरे की शुरूआत करने के बाद मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।

डॉ. कल्ला ने कहा कि इंदिराजी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण करते हुए बैंकों के दरवाजे आम अवाम के लिए खोल दिए, जिससे गरीबों को अपने पैरों पर खड़े होने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि इंदिराजी ने देश में हरित क्रांति एवं धवल क्रांति का सूत्रपात किया, देश की रक्षा को मजबूत करने की दिशा में कार्य करते हुए, हर तरह से देश को उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा लेकर युवा पीढ़ी देश की एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण रखने का संकल्प लें। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता नामचीन शायर शीन काफ निज़ाम ने की। इस मौके पर विधायक रफीक खान, टूरिज्म विभाग के डायरेक्टर निशांत जैन, कला, संस्कृति विभाग के संयुक्त शासन सचिव पंकज ओझा, रवीन्द्र मंच के प्रबंधक सिराज अली जैदी, रेहाना रियाज, गुलाम निजामुदृदीन खान सहित कई जानी मानी हस्तियां मौजूद रही।

रवीन्द्र मंच के मुख्य सभागार में देश के नामचीन शायर व शायरात ने देश दुनिया के मुददों के साथ देशभक्ति से ओत प्रोत रचनाएं प्रस्तुत कर वहां मौजूद लोगों की जमकर दाद हासिल की। समारोह में शायर और शायरात ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़ी और उनके योगदान पर आधारित रचनाएं भी पेश की। वहीं राजस्थान की संस्कृति की खूबसूरती को भी शायरी के जरिए प्रस्तुत किया।

अकादमी के सचिव मोअज्जम अली ने बताया कि मुशायरे में जोधपुर से शीन काफ निजाम, अलीगढ़ सेराशिद अनबर राशिद, देवबंद से डॉ. नवाज देवबंदी, भोपाल से  मंजर भोपाली, रामपुर से ताहिर फराज, मुम्बई से शकील आजमी, दिल्ली से इकबाल अशहर, दिल्ली के माजिद देवबंदी, अजमेर की सपना अजमेरी, ऐटा से अज्म शाकरी, दिल्ली से आदिल रशीद, मोईन शादाब, भोपाल से डॉ. नुसरत मेहदी, लखनऊ से सबा बलरामपुरी, ग्वालियर से ज्योति आजाद, गोवा से फोजिया रबाब, बीकानेर से जाकिर अदीब, कोटा से चांद शैरी, अजमेर से कवि लोकेश, जयपुर से मलका नसीम, सुहैल हाशमी, प्रेम पहाड़पुरी, अखिलेश तिवाड़ी और जीनत कैफी ने रचनाएं सुनाकर दाद पाई। इसमें अलग-अलग राज्यों के शब्दों की मिठास श्रोताओं से तालियां बटोरने में कामयाब हुई।