कुमाउं में हुआ था आईपन पारम्परिक पेंटिंग कला का उद्गम : ऋचा कुशवाहा

सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75 के तहत

भोपाल की युवा कलाकार ऋचा कुशवाहा ने किया आईपन  पेंटिंग वर्कशॉप का संचालन


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जयपुर। आईपन एक पारम्परिक पेंटिंग कला है जिसका उद्गम कुमाउं में हुआ था। सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व से जुड़ी यह कला वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में सर्वाधिक प्रचलित है। यह कहना था भोपाल की युवा कलाकार ऋचा कुशवाहा का। वे सोमवार को राजस्थान स्टूडियो की सहायता से भारत की आर्टिस्ट कम्यूनिटी ‘द सर्किल‘ के लिये आयोजित ‘लक्ष्मी पद आईपन‘ की ऑनलाईन वर्कशॉप में सम्बोधित कर रहीं थी। वर्कशॉप का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव - सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75 के तहत किया गया।  

ऋचा ने आगे बताया कि आईपन कला में पारम्परिक तौर पर महिलाओं द्वारा पूजा स्थल, घर के प्रवेश द्वार के फर्श अथवा दीवारों पर गेरू मिट्टी से बेस बना कर चॉक अथवा राईस पाउडर से डिजाईन बनाये जाते हैं। इस आर्ट फार्म का उपयोग गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा, दिवाली के अवसर पर समारोह के अनुसार स्वास्तिक, नव दुर्गा चौकी, सरस्वती चौकी अथवा लक्ष्मी पद बनाने के लिये किया जाता है।  उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में इसे मांडणा, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा में अल्पना के नाम से भी जाना जाता है।

ऋचा ने सर्वप्रथम लाल रंग की हैण्डमैंड पेपर शीट पर वाईट पोस्टर कलर से ट्राइएंगल पैटर्न से बार्डर बनाई। इसके बाद उन्होंने पेपर शीट के केन्द्र में सर्किल बना कर ‘एस‘ पेटर्न के लक्ष्मी पद चिन्ह की आकृति बनाई और अन्य डिजाइन बना कर सर्किल को डेकोरेट किया। इस दौरान उन्होंने विभिन्न आकृति के लक्ष्मी पद चिन्ह बनाने भी सीखाये। उन्होंने बताया कि पेंटिंग में मैट फिनिश लाने के लिये पोस्टर कलर का उपयोग किया जाता है, जबकि ऐक्रेलिक कलर से इसका लुक ग्लॉसी आता है।

द सर्किल कम्यूनिटी के बारे मेंः

स्लो मो एक्सपीरियंसेज द्वारा ‘द सर्किल कम्यूनिटी‘ की शुरूआत कलाकारों की इनवाइट-ओनली कम्यूनिटी के तौर पर की गई है। लगभग 1 घंटे से अधिक समय के लिये आयोजित इन निःशुल्क सत्रों एवं कार्यशालाओं में समान विचारधारा वाले कलाकार ना केवल गहन कलात्मक वार्ता करते हैं बल्कि विभिन्न कला स्वरूपों को सीखने एवं साझा करने और आत्म-निरीक्षण के उद्देश्य से एक मंच पर एकत्र होते हैं।

सेलिब्रेटिंग इंडिया एट 75ः बुलाये भारत (इंडिया कॉलिंग) के बारे में :

भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर भारत सरकार द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव के तहत, ‘इंडिया चौक‘ पहल के तहत स्लो मो एक्सपीरियंसेज द्वारा भारत की पारम्परिक कलाओं का जश्न बनाया जा रहा है। भारत के राष्ट्र निर्माण के लिए किये गये इस प्रयास के तहत वर्चूअल इंडियन आर्ट एक्सपीरियंस ‘बुलाये भारत‘ (इंडिया कॉलिंग) के माध्यम से 15 अगस्त 2021 से 15 अगस्त 2022 तक देश के प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से चुने हुए पारम्परिक कलाकारों को शामिल किया जा रहा है। विशेष रूप से क्यूरेट किए गए इस वर्चुअल आर्ट एक्सपीरियंस में पेंटिंग पर आधारित 44 और शिल्प पर आधारित 31 कला शैलियों को प्रस्तुत किया जा रहा है। इनके अतिरिक्त 26 अन्य महत्वपूर्ण स्थानीय कला शैलियों को भी इसमें शामिल किया गया है।

राजस्थान स्टूडियो के बारे में :

राजस्थान स्टूडियो विश्व का प्रथम एवं एकमात्र अनोखा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो राजस्थान के मास्टर आर्टिजंस के मार्गदर्शन में विभिन्न कला शैलियों का हैण्डस-ऑन एक्सपीरियंस प्रदान कराता है। राजस्थान स्टूडियो व्यक्तिगत एवं कॉर्पोरेट वर्कशॉप्स के माध्यम से कला-प्रेमियों, देशी-विदेशी यात्रियों, पेशेवरों एवं विद्यार्थियों को राज्य एवं केन्द्र सरकार, ललित कला अकादमियों से पुरस्कृत एवं पद्मश्री जैसे सम्मानित अवार्ड प्राप्त कर चुके राजस्थान के कारीगरों से जोड़ता है।