लेखक : लोकपाल सेठी
(वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक)
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लगभग एक महीने पहले गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से पकड़ी गयी 3000 किलो हेरोइन, जिसकी अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में कीमत 21000 करोड़ रूपये बताई जाती है, की तस्करी के तार दक्षिण के दो राज्यों, तमिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश से जुड़े हुए है। इस मामले में जिन लोगों को पकड़ा गया है वे अधिकतर इन दोनों राज्यों से ही है। लेकिन मामले की जाँच कर रहे राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय का कहना है कि जो लोग पकडे गए है वे तो केवल चेहरा मात्र है जबकि तस्करी के इस अवैध धंधे के पीछे के असली लोगों को अभी पकडे जाना बाकी है। अब यह मामला नेशनल इन्वेस्टिंग एजेंसी को सौंप दिया गया है। यह दावा किया जा रहा है कि जल्दी ही इस सुनियोजित तस्करी काण्ड का भंडा फूट जाने की उम्मीद है।
मुंद्रा पोर्ट का प्रबंधन निजी हाथों में है तथा इसको ऑपरेट करने वाली कम्पनी अडानी ग्रुप की है। यह आरोप लगाया गया कि तस्करी की इतनी बड़ी खेप पोर्ट के अधिकारियों की मिली भगत के बिना नहीं हो सकती। लेकिन प्रबधन का कहना है कि इस तरह के निजी प्रबंधन वाले पोर्टों में वहां पहुचने वाले कंटेनर्स की जाँच किये जाने का अधिकार प्रबंधन के हाथ में नहीं। इनकी जाँच करने का अधिकार राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय के पास है। फ़िलहालपोर्ट के प्रबंधन वाली कम्पनी ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान से कंटेनर्स बुक नहीं करने का निर्णय किया है। बताया जाता है हेरोइन की यह खेप अफगानिस्तान से चली थी तथा ईरान के जरिये गुजारत में कच्छ जिले के इस पोर्ट पर पहुची थी। निदेशालय को गुप्त रूप से यह सूचना मिली थी कि तस्करी से पानी के जहाज से लाई जा रही एक बड़ी खेप इस पोर्ट पर आ रही है. इसके बाद ही समुद्री जहाज़ के जरिये आये कंटेनर्स की जब जाँच की गयी तो दो कंटेनर्स में हेरोइन जैसे पदार्थ पकडे गए। जाँच के बाद पाया गया कि यह उच्च कोटि की हेरोइन है जो अफगानिस्तान में ही बनती है। इन कंटेनर्स के जो दस्तावेज़ पेश किये गए उसमें इन कंटेनर्स में हलकी किस्म का टेल्कम पाउडर होने का दावा किया गया था। यह दोनो कंटेनर्स में पाया गया था। इस कन्साइनमेंट को आन्ध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में पंजीकृत आशी ट्रेडिंग नाम की एक कंपनी ने आयात किया था।
इस कंपनी, जिसके पास आयात लाइसेंस था, के मालिक एम् सुधाकर और उनकी पत्नी वैशाली है जो पिछले दस वर्षो से चेन्नई में रह रहे थे। वे चेन्नई हवाई अड्डे के निकट के काम्प्लेक्स में रहते हैं। सामान्य आर्थिक स्थिति वाले इस पति पत्नी की दो बच्चे है। उनके पास कार तक नहीं है तथा सुधाकर अपने ऑफिस में जाने के लिए स्कूटर का उपयोंग करते थे। कोरोना काल से पहले वे स्थानीय पोर्ट में एक क्लीयरिंग एजेंट के पास काम करते थे। कोरोनो के कारण जब उनकी नौकरी चली गयी तो उन्होंने आशी ट्रेडिंग कंपनी के नाम से एक आयात निर्यात कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया। इस कम्पनी का पंजीकृत कार्यालय सुधाकर की सास और वैशाली की मां के विजयवाड़ा स्थित निवास स्थान ही था। निदेशालय ने कोयम्बतूर से पी राजकुमार के नाम एक व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया। राजकुमार वर्षों तक ईरान रहा है तथा उसके वहां बहुत लोगों से नज़दीकी संबध है। निदेशालय का कहना है कि उसके पास ही वह सब जानकारी है जो निदेशालय को असली आपराधियों तक पंहुचा सकती है।
विपक्ष का कहना कि इस तस्करी की पीछे प्रभावशाली लोगों को हाथ है जिनकी पहुँच ऊपर तक है इसलिए निदेशालय अथवा जाँच एजेंसी उनकी धर पकड़ में ढिलाई बरत रहे है। उनका यह भी आरोप है की इतने बड़े तस्करी के मामले से ध्यान हटाने के लिए मुबई के फ़िल्मी सितारों के बेटे बेटियों द्वारा रेव पार्टी में जा कर ड्रग के मामले को उछाला गया है। इसी के चलते फ़िलहाल इस तस्करी के मामले की जाँच की खबरे अखबारों में नहीं के बराबर ही आ रहीं है।
निदेशालय का कहना ही कि अफगानिस्तान से अफीम और हेरोइन की तस्करी में लिप्त गैंग ने कुछ पैसे देकर मध्यम वर्ग के पढ़े लिखे लोगों को आयात , निर्यात के लिए कंपनियां रजिस्टर्ड करवाने के लिए कहते है। इन कंपनियों का उपयोग टेल्कम पाउडर जैसी चीजों के आयात की आड़ में हेरोइन की तस्करी का हथकंडा अपनाया गया। ये कंपनियां इतनी छोटी है कि निदेशालय इनके आयत निर्यात की और कोई विशेष तवजो नहीं देता। इसी का फायदा उठाकर तस्करी में लगे लोग इनके माध्यम से अफगानिस्तान से चोरी छिपे हेरोइन तथा अन्य मादक पदार्थ मंगवाने में सफल रहते है। वे इसके लिए निजी प्रबंधन वाले पोर्टों का उपयोग करते है जहाँ आयात का सामान लाने वाले कंटेनर्स की सख्त जाँच नहीं होती। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)