सुब्बाराव जी के विचार हम सबकी अमूल्य धरोहर हैं

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प्रख्यात गांधीवादी, नौजवानों के प्रेरणा स्रोत, राष्ट्रीय युवा योजना के संस्थापक, राष्ट्रीय एकता-अखण्ता के प्रतीक और भाई जी के नाम से समूची दुनिया में विख्यात डा.एस.एन.सुब्बाराव का बीती 28 अक्टूबर को सांय साडे़ चार बजे मध्य प्रदेश के मुरैना जिलान्तर्गत जौरा के गांधी आश्रम में समीपस्थ जिलों से व देशभर से आये हजारों अनुयायियों-समर्थकों, गांधीवादियों, मित्रों, समाजसेवियों, पत्रकारों व 16 राज्यों से आये सेवा दल के कार्यकर्ताओं-स्वयंसेवकों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच नम आंखों से पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। भाई जी को मुखाग्नि उनके बहनोई वयोवृद्ध कैप्टन ईश्वर जायस ने दी।

इससे पहले गायत्री परिवार, आर्य समाज सहित सभी धर्मों के पुरोहितों, पादरियों, ग्रंथियों, मौलवियों और बौद्ध भिक्षुओं द्वारा की गयी सर्व धर्म प्रार्थना सभा में वहां मौजूद हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया और अपने प्रिय भाई जी के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी श्रृद्धांजलि दी। श्रृद्धांजलि सभा में जहां फूलों से- मालाओं से सजे एक मंच, जिस पर जयपुर से भाई जी के पार्थिव शरीर को लाकर रखा गया था, के समीप कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राजीव गांधी, लोकसभाध्यक्ष श्री ओम बिड़ला, गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, म.प्र.के पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ, सेवा दल के राष्ट्र प्रमुख आदि देश के विभिन्न संगठनों-संस्थाओं द्वारा भेजे शोक संदेशों को पढ़कर सुनाया गया और उन सभी की ओर से भाई जी के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र चढा़ये गये और दिवंगत महान आत्मा की शांति की प्रार्थना की गयी।

म.प्र.के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाई जी को अपनी श्रृद्धांजलि दी व उनकी ओर से भाई जी के पार्थिव शरीर पर मुरैना के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने पुष्प चक्र अर्पित किये।

इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री और भाई जी के प्रिय शिष्य अशोक गहलोत, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय माकन, पूर्व मंत्री मध्य प्रदेश गोविंद सिंह, स्वाभिमान आंदोलन के वासवराज पाटिल, एकता परिषद के प्रमुख  पी.वी.राजगोपाल, स्टाकहोम वाटर प्राइज व मैग्सैसे आदि अनन्य सम्मानों से सम्मानित जलपुरुष के नाम से विख्यात राजेन्द्र सिंह, तीसरी सरकार अभियान के और नेहरू युवा केन्द्र के प्रमुख रहे डा.चंद्र शेखर प्राण, प्रख्यात सर्वोदयी-गांधीवादी रामधीरज,सर्वोदयी नेता व शिक्षाविद अरविंद सिंह कुशवाहा, सेवा दल के राष्ट्रीय संघटक बलराम सिंह भदौरिया, पर्यावरणविद सुबोध नंदन शर्मा, गंगा सदभावना यात्रा के संयोजक रहे हरियाणा के शिक्षाविद डा.जगदीश चौधरी, वाय एम सी ए यूनीवर्सिटी फरीदाबाद के प्रो.अरविंद गुप्ता,परमार्थ संस्थान के प्रमुख संजय सिंह, सर्व सेवा संघ की न्यासी श्रीमती आशा भोतरा, नर्मदा बचाओ अभियान के युवराज, पूर्व विधायक समाजवादी नेता डा.सुनीलम, गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव संजय सिंह, बा-बापू 150 अभियान के प्रमुख और समूचे देश में बापू के विचारों की अलख जगाने वाले गाधीवादी रमेश चंद्र शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता डा.दाराख्शन फिरदौस, राष्ट्रीय युवा योजना के संतोष द्विवेदी म.प्र., संजय राणा, बागपत, राजीव राणा, जौरा, अजय पाण्डेय, संजय राय, भाई जी के साथी जरनैल सिंह सिकरवार, मुरैना, अनीस भाई, केरल,प्यारी जान, ए जायस, प्रशांत,कर्नाटक, नरसिम्हाराव, आंध्र, यादव राजू, तेलंगाना, नरेन्द्र वाडगांवकर, आशीष गोस्वामी, महाराष्ट्र, विजय भारती, गुजरात, डा.जी एस सिद्धू, अमरीक सिंह, सतनाम सिंह, पंजाब, सुरेश राठी, राकेश तंवर,हरियाणा, राजीव गुप्ता, उत्तराखण्ड, विनय गुप्ता, छत्तीसगढ़, प्रसाद, उडी़सा, देवाशीष मजूमदार, त्रिपुरा, नीरज कुमार, प्रभात कुमार, सुरेश झा, बिहार, डा.सुधीर गोयल, डा.महेन्द्र नागर व डा.पुष्पा चौरसिया सहित तकरीब  22 सांसदों, 31 विधायकों, 45-46 पूर्व विधायकों-  विधान परिषद सदस्यों की उपस्थिति उल्लेखनीय थी जो मौजूद आम जनता के साथ अश्रु पूरित नेत्रों से अपने भाई जी को अंतिम विदाई दे रहे थे। 

असलियत में यह अवसर एक पर्व जैसा लग रहा था जहां भाई जी के अंतिम संस्कार के बाद भी आने वालों का तांता लगा हुआ था जिनके भाईजी के अंतिम दर्शन न कर पाने के दुख में आंसू रुक नहीं पा रहे थे। इस दौरान सबसे बडी़  बात यह रही कि वहां व्यवस्था में लगे सेवा दल स्वयंसेवकों की भूमिका सराहनीय ही नहीं वरन प्रशंसनीय थी। संचालक पूर्व विधायक महेन्द्र मिश्रा तो इस अवसर पर आने वालों का परिचय, उनके जिले का नाम सहित भाई जी से उनके संबंध के बारे में पूरी जानकारी देते थकते नहीं लग रहे थे जिनका बीच-बीच में बार-बार बताते हुए गला रुंध जा रहा था। सच कहा जाये तो जौरा में हर आने वाले को भाई जी के जाने का दुख तो बहुत था लेकिन वह इस अवसर पर सहभागिता कर भाई जी के अंतिम दर्शन कर खुद को धन्य महसूस कर रहा था। ऐसा लगता था जैसे कि जौरा का यह आश्रम कोई तीर्थ हो। सच तो यह भी है कि वह आश्रम जहां सैकडो़ं कुख्यात दस्युओं ने आत्म समर्पण किया और जहां आत्म समर्पण कराने वाला चिरनिद्रा में सोया हो, वह जगह तीर्थ से कम हो भी नहीं सकती।

सभा में उपस्थित जनों ने भाई जी को युगदृष्टा, आजीवन समूचे देश में शिविरों के माध्यम से देश की एकता और अखण्डता की अलख जगाने वाला अप्रतिम योद्धा की संज्ञा देते हुए कहा कि उनका सम्पूर्ण जीवन देश को समर्पित था। वह प्रतिपल देश के कल्याण और युवा पीडी़ को संस्कारवान बनाने के बारे में सोचते रहते थे। यही नहीं देशभर में जहां-जहां युवाओं के शिविर आयोजित होते थे, उनमें जीवन किस तरह अनुशासित हो, आचरण की सभ्यता दैनंदिन जीवन में व्यवहार में किस तरह फलित हो, इस बाबत न केवल संदेश देते थे बल्कि उनमें देशभक्ति की भावना चिरस्थायी बनी रहे, इसकी शपथ भी दिलाते थे। आज वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका सादगी पूर्ण आदर्शमयी जीवन हम सबके लिए कीर्ति स्तंभ की तरह है जो हमें सत्य के आलंबन की प्रेरणा देता है। 

हम तो जाते अपने गांव, सबको राम राम राम । (सभी फोटो : साभार)

हम सबका दायित्व है कि हम उनके बताये मार्ग पर चलकर उनके सपनों का भारत बनायें। यही उनको हम सबकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अंत में एकता परिषद के प्रमुख श्री पी.वी. राजगोपाल ने कहा कि आने वाले दिनों में भाई जी की अस्थियों को सर्व सेवा संघ, सेवा दल, एकता परिषद के कार्यकर्ता और उनके अनुयायी लेकर जायेंगे जिन्हें देश की नदियों में प्रवाहित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि भाई जी अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके विचार हमेशा जीवित रहेंगे और नौजवानों को प्रेरित करते रहेंगे। उनका शांति-एकता और देश की अखण्डता अक्षिण्णु बनारे रखने वाला कार्यक्रम अनवरत जारी रहेगा। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)

लेखक : ज्ञानेन्द्र रावत 

(लेखक ज्ञानेन्द्र रावत वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद हैं।)