सांभर में साल्ट म्यूजियम के जीर्णोद्धार का काम अधूरा छोड़ा

झील का मानचित्र भी रंग रोशन को तरसा, सुरक्षा के भी नहीं है इंतजाम...



शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील (जयपुर)। हिन्दुस्तान सांभर साल्ट के उपक्रम सांभर साल्ट के अधीन देश का एकमात्र साल्ट म्यूजियम (नमक संग्रहालय) की खोयी आभा लौटाने के लिये प्रदेश सरकार की ओर से लाखों रूपये का बजट मंजूर किये जाने के बावजूद इसकी रंगत नहीं लौट पायी है। सांभर को पर्यटन का दर्जा मिलने के बाद अंग्रेजों के जमाने की एतिहासिक इमारतों को निखारने एवं जीर्णोद्धार कर उसके वास्तविक स्वरूप में लाने के लिये पुरातत्व विभाग की ओर से करीब दो साल पहले 110 साल पुराने साल्ट म्यूजियम की दशा सुधारने के लिये जो कदम उठाया गया था वह आज तक पूरा नहीं हो सका है। 

सरकार की ओर से सांभर साल्ट के अधीन आने वाले अनेक एतिहासिक इमारतों के लिये जो बजट मंजूर किया गया था उस बजट में वास्तविक रूप से विभाग कितना काम करवा सका है, इसकी कोई सूचना आज तक सार्वजनिक नहीं हुयी है, लिहाजा इस म्यूजियम के बाहर की तरफ से जो काम हुआ है वह भी संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि इस म्यूजियम के ऊपरी माले की छत पर किया गया प्लास्टर तीन चार तरफ से उखड़ कर फर्श पर बिखरा पड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि इस म्यूजियम में अंग्रेजों के जमाने के नमक उत्पादन से जुड़े संयंत्र एवं नमक बनाने की विधि के बारे में दी गयी जानकारी खास तौर पर संग्रह कर रखी गयी थी, लेकिन अब वह कहां पर इसका कोई पता नहीं है। 

करीब तीस सालों से इस म्यूजियम को अंदर से निहारने के लिये देशी व विदेशी सैलानी तर रहे है, क्योंकि साल्ट प्रशासन की ओर से इस पर ताले लटका दिये गये हैं। इस म्यूजियम के सामने ही झील का मानचित्र (ले आउट ऑफ सांभरलेक सोर्सेज) भी धूमिल हो चुका है, रंग रोशन नहीं होने से कुछ समझ नहीं आ रहा है। इसकी परिधि को कवर्ड नहीं कराने से कई मर्तबा आवारा जानवर तक यहां प्रवेश कर इसकी महत्ता को खराब कर रहे हैं। सांभर साल्ट के म्यूजियम व अन्य बाउण्ड्री पर लगाया गया कोबाल्ट किस्म के पत्थर भी करीब करीब सभी जगहों से उखड़ चुके हैं। जानकारी में आया है कि राजस्थान पर्यटन विकास निगम को भी इसकी खास जिम्मेदारी सौंपी गयी थी, लेकिन बजट का रोना रोकर इस महत्वपूर्ण कार्य को अधूरा छोड़ने से पर्यटकों का भी मन भंग हो रहा है। इन तमाम कमियों व छोड़े गये अधूरे कार्य को लेकर जिम्मेदार विभाग खुद अपनी जिम्मेदारी भूल ही गया है, साथ ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की ओर से भी सरकार तक हकीकत पहुंचाने में कोई दिलचस्पी नहीं ली जा रही है।