ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स 11 राज्यों के 45 प्रशिक्षकों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स (टीओटी) के पहले समूह के दौरान 13 से 15 सितंबर 2021 तक 11 राज्यों के 45 प्रशिक्षकों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद आईआईएचएमआर के संकाय सदस्य और प्रशिक्षक एक वर्ष की अवधि में 900 सीएचओ को देंगे ट्रेनिंग

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जयपुर। आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय निष्ठा-झपीगो के सहयोग से तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। 13 सितंबर से 15 सितंबर, 2021 तक चलने वाले इस कार्यक्रम में प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये प्रशिक्षक 14 राज्यों के चयनित 900 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए लीडरशिप सर्टिफिकेशन प्रोग्राम आयोजित करेंगे।

पूर्वाेत्तर सहित 11 राज्यों के कुल 45 प्रतिभागियों को अखिल भारतीय सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को ट्रेनिंग देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। श्रृंखला के दूसरे कार्यक्रम में और 55 मास्टर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे। तीन दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जो विषय कवर किए जाएंगे, उनमें प्रमुख हैं- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल अवलोकन, सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना और प्रबंधन, प्रबंधन कौशल, नेतृत्व कौशल, संचार कौशल, परामर्श, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन, डेटा प्रबंधन और अन्य लीडरशिप और मैनेजमेंट संबंधी विषय। इसका उद्देश्य सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम बनाना है, ताकि वे प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को और मजबूत करने की दिशा में काम कर सकें।

आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट पी आर सोडानी ने कहा, ट्रेनिंग अफ ट्रेनर्स सीएचओ संबंधी लीडरशिप प्रोग्राम को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसके माध्यम से देश में हेल्थकेयर और वेलनेस डिलीवरी सिस्टम को मजबूत करते हुए स्वास्थ्य सेवाओं तक जनता की पहुंच और उनकी उपलब्धता को सुगम बनाया जा सके। उन्होंने आयुष्मान भारत योजना का उल्लेख करते हुए कहा, देश का यह प्रमुख कार्यक्रम स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में गेम चेंजर साबित हुआ है। आयुष्मान भारत के प्रमुख स्तंभों में से एक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र है। आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कर्मियों की मानव संसाधन क्षमता बढ़ाने और पूरे देश में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचा और मानव संसाधन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने देश भर में और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को शुरू करके सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इस तरह हम किफायती दरों पर अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में सक्षम हो सकेंगे।

झपीगो के सहयोग से हम न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार, शिशु मृत्यु दर को कम करने और दुनिया भर में बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, बल्कि हमारा मुख्य उद्देश्य किफायती कीमतों पर समग्र स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करना होगा। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सीएचओ को नए मड्यूल और पाठ्यक्रम के साथ-साथ शिक्षण के नए तौर-तरीकों के बारे में जागरूक बनाना है। सीएचओ के लिए टेनिंग मड्यूल को आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय और निष्ठा/झपीगो टीम द्वारा सोच-समझकर डिजाइन किया गया है।

ड. स्वाति महाजन, सीओपी निष्ठा ने कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के लिए निष्ठा के नेतृत्व कार्यक्रम की व्याख्या करते हुए कहा कि वे हेल्थकेयर को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने  बताया कि कैसे झपीगो कार्यक्रम, प्रभावी सलाह के साथ समुदाय की भागीदारी और जवाबदेही का मार्गदर्शन करेगा। इस टीओटी सत्र का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य केंद्रों, उप-केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित देश भर के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पतालों में पहले से मौजूद स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को मजबूत करके सभी को स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विशाल चौहान, आईएएस ने कहा, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र इस कार्यक्रम के मूलभूत घटक हैं। हम 77000 प्राथमिक स्वास्थ्य उप केंद्रों को स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के रूप में बदलने में सक्षम थे और मार्च 2022 तक इनकी संख्या 1 लाख 10 हजार तक पहुंचने की उम्मीद है। स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों ने महामारी के दौरान भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जब स्वास्थ्य उद्योग लगभग ध्वस्त हो गया था। आयुष्मान भारत योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना के साथ ही प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की सुविधाओं के स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सेवा की गुणवत्ता में सुधार करके ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा के स्तर को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का भी उल्लेख किया, जहां समस्त नागरिकों की डिजिटल स्वास्थ्य आईडी तैयार की जाती है। इस तरह सभी स्वास्थ्य चिकित्सकों को एक डिजिटल प्लेटफर्म के तहत जोड़ा जाएगा, जिसे लोग 24 घंटे, सप्ताह में सातों दिन किसी भी इंटरनेट सक्षम कंप्यूटर, स्मार्टफोन या टैबलेट के माध्यम से एक्सेस कर सकते हैं।

आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय देश की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्यक्रम सीएचओ को एक नई पहचान देगा और उन्हें स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगा। यह एक अच्छी शुरुआत है और इस कार्यक्रम को देश के अन्य राज्यों में बढ़ाया जा सकता है। 11 राज्यों से भाग लेने वाले प्रशिक्षकों में राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, कार्यक्रम अध्ययन केंद्रों के संकाय सदस्य, राज्य सलाहकार और नर्सिंग शिक्षक शामिल हैं। प्रतिभागियों में झपीगो, नर्सिंग कलेज, स्वास्थ्य और परिवार विभाग, एनएचएम और जिला अस्पतालों से आए लोग शामिल हैं। जिन लोगों ने भाग लिया उनके पास 40 साल तक का कार्य अनुभव है।