यूनेस्को प्रतिनिधि के साथ थार बायोस्फीयर रिजर्व स्थापना की संभावनाओं पर चर्चा

अनोखी प्राकृतिक विशेषताओं वाले क्षेत्रों का संरक्षण तथा लोगों की आजीविका सुदृढ़ करेगा प्रस्तावित थार बायोस्फीयर रिजर्व : श्रीमती गुहा

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जयपुर। राजस्थान के पश्चिमी भाग में लंबे समय से प्रस्तावित थार बायोस्फीयर रिजर्व स्थापना की संभावनाओं पर विचार-विमर्श के लिए वन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती श्रेया गुहा और यूनेस्को के कंट्री हेड एरिक फाल्ट के बीच बैठक हुई। श्रीमती श्रेया गुहा द्वारा श्री फाल्ट को जैव विविधता और क्षेत्र से जुड़े स्थानीय समुदायों सहित रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए थार परिदृश्य के महत्व से अवगत करवाया गया।

श्रीमती गुहा ने बताया कि भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में गर्म भारतीय रेगिस्तान (थार रेगिस्तान) अद्वितीय है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी तरह का एकमात्र प्राकृतिक संसाधन है। पर्यावरण और वन मंत्रालय ने थार बायोस्फीयर रिजर्व पर एक परियोजना दस्तावेज तैयार करने के लिए 1988 में एक कार्यदल का गठन किया था। वर्ष 2013 में फिर से केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी), जोधपुर द्वारा बायोस्फीयर रिजर्व के लिए दस्तावेज तैयार करने के लिए एमओईएफ और सीसी द्वारा निर्देश दिया गया। इसके बाद 2017 में बायोस्फीयर रिजर्व के लिए प्रस्ताव पेश किया गया।

श्रीमती गुहा ने प्रस्तावित थार बायोस्फीयर रिजर्व की क्षेत्रीय योजना के बारे में चर्चा करते हुए दोहराया कि इससे क्षेत्र में लोगों की आजीविका एवं रहन सहन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसके साथ ही यूनेस्को-मैन एंड बायोस्फीयर (एम.ए.बी) कार्यक्रम के तहत समुदायों को अतिरिक्त लाभ प्राप्त होने की संभावना बढ़ सकती है।

थार मरुस्थल की जैव-विविधता पर विस्तृत प्रेजेंटेशन अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. गोबिंद सागर भारद्वाज द्वारा किया गया। श्री भारद्वाज द्वारा श्री फाल्ट को राजस्थान की जैव विविधता पर आधारित अपने द्वारा लिखित पुस्तक श्डेजर्ट नेशनल पार्कश् भी भेंट की गई।

बैठक के दौरान प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख), डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने बायोस्फीयर रिजर्व की स्थापना के पूर्व स्थानीय समुदायों को संभावित लाभ तथा जैव विविधता संरक्षण के मध्य सामंजस्य बैठाने के संबंध में स्थानीय समुदायों के बीच जागरूकता पैदा करने के महत्व के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बायोस्फीयर रिजर्व के प्रत्यक्ष लाभार्थी स्थानीय लोग और प्राकृतिक संसाधन हैं अतः है इस पर व्यापक एवं समावेशी दृष्टि विकसित करना आवश्यक है।

डॉ. पाण्डेय ने बताया कि बायोस्फीयर रिजर्व की स्थापना का उद्देश्य रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के साथ-साथ लोगों की आजीविका में सुधार करते हुए सतत विकास सुनिश्चित करना होना चाहिए। साथ ही इसकी प्रजातियों और आनुवंशिक विविधताओं को शामिल करते हुए पारंपरिक संसाधन उपयोग प्रणाली को प्रोत्साहित करना चाहिए।

अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर ने कहा कि थार बायोस्फीयर रिजर्व जैव विविधता एवं अनोखे प्राकृतिक विशेषताओं वाले क्षेत्रों का संरक्षण कर सकता है किंतु इसके लिए समुचित संसाधन उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। यह माना जाता है कि इस प्रतिनिधि क्षेत्र में भू-परिदृश्य, पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता की अनूठी विशेषताएं भी हो सकती हैं। गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, लुप्तप्राय मैक्वीन बस्टर्ड, डेजर्ट कैट, चिंकारा और कई लुप्तप्राय गिद्धों और अन्य पक्षियों सहित संकटग्रस्त प्रजातियों को संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस अवसर पर वन विभाग के सचिव बी. प्रवीण भी उपस्थित रहे।