मैं क्या लिखूं, हुसैन की शान में, वो अकेला शेर था, कर्बला के मैदान में : चौधरी
जाफ़र लोहानी

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मनोहरपुर (जयपुर)। पंचायती राज मंत्रालय के प्रदेश उपाध्यक्ष ओम चौधरी ने मनोहरपुर में "मैं क्या लिखूं, हुसैन की शान में, वो अकेला शेर था, कर्बला के मैदान में", यह वाक्य दास्तान-ए-कर्बला कार्यक्रम में उपस्थित अकीदतमंदों को सम्बोधित करते हुए कहे। 

चौधरी ने शायराने अंदाज़ में कहा कि "कर्बला को कर्बला के शंहशाह पर नाज है, उस नवासे पर मुहम्मद को नाज है, यूँ तो लाखों सिर झुकें सजदे में लेकिन, हुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज है"।

इसी प्रकार चौधरी ने शायराने अंदाज़ में कहा कि "सजदे से कर्बला को बंदगी मिल गई, सब्र से उम्मत को जिन्दगी मिल गई, एक चमन फातिमा का उजड़ा मगर, सारे इस्लाम को जिन्दगी मिल गई"।

ग्राम विकास अधिकारी शंकर लाल डोड़वाडिया ने भी शायराना अंदाज़ में कहा कि "वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया, घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया, नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम, उस हुसैन इब्ने अली पर लाखों सलाम"।

इसी प्रकार डोड़वाडिया ने शायराने अंदाज़ में कहा कि "क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने, सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने, नेजे पे सिर था और जुबान पे आय्यते, कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने"।

इसी के साथ डोडवाडिया ने यह भी कहा कि "बे हिसाब ज़ख्मो से जब तक़दीर घीर जाती हैं, देते है जब हुसैन का वास्ता तो डूबी हुई कश्ती तीर जाती हैं"। मजदूर नेता अब्दुल अज़ीज़ लोहानी ने कहा कि "जब याद हुसैन की आती हैं, दर्द जिगर में होता हैं, रातों को उठ उठकर रोते है, जब सारा आलम सोता हैं"।कार्यक्रम के आखिर में हजरत इमाम हुसैन र.अ. की याद में शर्बत बनाकर पिलाया गया। इस अवसर पर पधारे अतिथियों का स्वागत भी किया गया।