संस्कार विहीन शिक्षा निरर्थक है : डॉ. आराधना परमार

समर्पण संस्था का शिक्षा के लिए समर्पण

शिक्षा सहायता पखवाड़े के पहले दिन चयनित विद्यार्थियों में से 8 को भेंट की गई शिक्षण सामग्री



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जयपुर। संस्कार विहीन शिक्षा निरर्थक हैं, डिग्री के साथ बच्चों को संस्कार भी देना ज़रूरी है। यह बात एपेक्स स्कूल ऑफ़ लॉ की डीन डॉ. आराधना परमार ने समर्पण संस्था के शिक्षा सहायता पखवाड़े के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कही।

समर्पण संस्था द्वारा आज पहले दिन चयनित 101 निर्धन विद्यार्थियों में से कुल आठ विद्यार्थियों को किताबें, फीस, यूनिफॉर्म, स्टेशनरी, स्कूल बैग आदि भेंट किए गये।

संस्था के संस्थापक अध्यक्ष आर्किटेक्ट डॉ.दौलत राम माल्या ने सभी का स्वागत अभिनंदन करते हुए कहा कि जब हम किसी को खाना खिलाते हैं तो वह उसके एक दिन का इंतज़ाम होता है और फ़सल उगाते हैं तो एक साल का इंतज़ाम होता है लेकिन जब हम किसी को शिक्षा देते हैं तो वह उसके जीवन भर का इंतज़ाम होता है ।संस्था ज़रूरतमंद विद्यार्थियों को शिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान दे रही है ।

डॉ. माल्या ने बताया कि शिक्षा सहायता का यह कार्यक्रम नियमित 10 अगस्त तक चलेगा जिसमें रोज़ चयनित विद्यार्थियों को शिक्षण सामग्री दी जाएगी।

कार्यक्रम में संस्था द्वारा नियुक्त किए गए एज्युकेशनल ब्रांड एम्बेसेडर सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. बी.एल. जाटावत व एज्युकेशनल एम्बेसेडर राज कुमार भारद्वाज की ओर से दो-दो विद्यार्थियों को शिक्षण सामग्री भेंट की गई। 

इस अवसर पर डॉ. जाटावत व भारद्वाज को डॉ. माल्या व पदाधिकारियों द्वारा नियुक्ति पत्र व समर्पण आदर्श विद्यार्थियों को पहचान पत्र भेंट किये गये।  कार्यक्रम में संस्था के प्रधान मुख्य सरंक्षक अब्दुल सलाम जौहर, मुख्य सलाहकार उदय चन्द बारूपाल व राजकुमार भारद्वाज ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. जाटावत ने कहा कि शिक्षा के लिए पहली सीढ़ी परिवार है । बच्चों को अनुकूल माहौल मिलना बहुत ज़रूरी है। मंच संचालन दूरदर्शन समाचार वाचक गौरव शर्मा ने किया ।