स्त्री चाहे, तो चुपचाप अपना काम करते रहकर भी शेरनी हो सकती है : विद्या बालन

 शख़्सियत : वेस्ट से श्रेष्ठ होते जाने का बेस्ट सफर


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विद्या बालन बी टाउन की ऐसी अदाकारा हैं, जो सिर्फ़ अभिनय के बूते आगे नहीं बढ़ी है, बल्कि उनके पास सोच और कामयाबी पाने का अटूट जज़्बा भी है।अजीब संयोग है यह है कि हिंदी फिल्मों में काफ़ी कुछ कर गुज़री कई अभिनेत्रियां साउथ इंडिया से ही आई, जबकि इस पट्टी की महिलाओं के खाते में शारीरिक सौंदर्य के अंक कम से कम जाते हैं। भले रेखा 65 के पार होने के बावजूद दर्शकों के दिलों पर राज कर रही हो, मग़र पहली फ़िल्म सावन भादो की शूटिंग की शुरुआत की एक टिप्पणी, तो उन्हें आज भी चुभती होगी। दरअसल, भानुमति रेखा क्ररीब 14 बरस में ही फिल्मों ज़ब आईं थीं, तब सावन भादो के सेट पर उनके  हीरो नवीन निश्चल ने निदेशक से कहा था, इस काली मद्रासी बत्तख को कहाँ से पकड़ लाए। विद्या बालन, पता नहीं ऐसा इस्पाती हौसला न जाने कहाँ से लाई। अंसभव को संभव बनाने का हुनर कोई हँसती और बातें करती आँखों वाली इस तारिका से सीखे। 

फिल्मी सेलेब्स के व्यक्तिगत जीवन में अपनी गंदी नज़रों का कैमरा लगाने से गॉसिप, तो मिल जाते हैं, मग़र आपको एक उजली और व्यापक दृष्टि वाले फ़िल्म फोटोग्राफर या क्रिटिक के रूप में कोई भूले से भी याद नहीं रखता। वर्ना, बताइए स्व. देवयानी चौबल हिंदी सिनेमा की किस लायब्रेरी में सोई हैं । आप औफ कर उठेंगे यह जानकर कि विद्या बालन भी रेखा की तरह श्वेत श्याम ,एवं थुल थुल काया की थी । उन्हें साउथ की एक शूटिंग होती फ़िल्म के बीच में से निकाल दिया गया था। 

अब प्रत्येक वर्ग में पसंद की जाने वाली  इस अभिनेत्री ने इस घटना के बाद एक इंटरव्यू में कहा था कि जब मेरे साथ उक्त व्यवहार हुआ, तो लम्बे समय तक आईने के सामने जाने की मेरी हिम्मत ही नहीं हुई। मैं,अंदर से बहुत टूट चुकी थी। फिर कहानी, डर्टी पिक्चर, शंकुन्तलादेवी जैसी फिल्मों ने विद्या बालन के अंदर छिपी प्रतिभा को स्थापित करना प्रारंभ कर दिया। शीघ्र वे शेरनी फ़िल्म में फॉरेस्ट ऑफिसर के रूप में नज़र आएँगी। यह फ़िल्म डिजिटल माध्यम पर देखी जा सकेगी। एक मजबूत महिला बने रहने को संकल्पित विद्या कहती हैं कि शेरनी फ़िल्म करने की रिस्क के पीछे निदेशक अमित मसूरकर से उनकी अच्छी केमिस्ट्री है, जो मॉडलिंग के दौरान बनी थी। उक्त अदाकारा के मत से प्रत्येक स्त्री के अंदर एक शेरनी निवास करती है। ज़रूरी नहीं, कि हरेक नारी दहाड़ती रहे। वह चुप रहकर भी शेरनी जैसा आचरण कर सकती है। शेरनी फ़िल्म की शूटिंग मध्यप्रदेश के जंगलों में हुई है। 

विद्या बालन को पूरा होम वर्क करने वाली अभिनेत्री माना जाता है। वे, वन्य अधिकारियों से मिलीं, वाइल्ड लाइफ पर किताबें पढ़ीं। विद्या का कहना है कि स्त्री चाहे, तो चुपचाप अपना काम करते रहकर भी शेरनी हो सकती है। मेरा रोल इसी भावना पर केंद्रित है। इस अदाकारा का अभिनय सफ़ऱ 16 साल की उम्र में हम पाँच टीवी सीरियल से प्रारम्भ हुआ था। उनकी पहली हिंदी फिल्म परिणीता थी , जिसमें बेस्ट एक्ट्रेस के रूप में उन्हें नवाज़ा गया। फ़िल्म पा, इश्किया, नो वन किल्ड जेसिका, भूल भुलैया, तुम्हारी सुलू जैसी  फिल्मों के आधार पर कहा जा सकता है कि जिस ऐक्ट्रेस को वेस्ट कहकर हटा दिया गया था, उसी ने अपने श्रम से अपने को बेस्ट होकर भी दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

लेखक : नवीन जैन 

वरिष्ठ पत्रकार, इंदौर 

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