नमक औद्योगिक इकाई के रूप में गुढा साल्ट की है पहचान
सांभर लवणीय झील में श्रमिकों की ओर से क्यारियों से नमक
निकालकर रिफाइनरी तक पहुंचाया जाता है
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। विश्व की एकमात्र प्राकृतिक क्षारीय सांभरझील की पहचान यूं तो नमक उत्पादन के लिये अपनी खास पहचान रखती है, लेकिन नम भूमि का दर्जा प्राप्त होने के कारण यह देशी व विदेशी सैलानियों के लिये खास आकर्षण का भी केन्द्र है। गुढा साल्ट में भारत सरकार का उपक्रम सांभर साल्ट व निजी नमक उत्पादकों की ओर से स्थापित की गयी नमक इकाइयां लॉक डाउन के बावजूद सैंकड़ों श्रमिकों के रोजगार का साधन बना हुआ है। लवणीय झील गुढा साल्ट में नमक की क्यारियों में काम करने वाले मजदूरों को सर्दी, गर्मी में बदस्तूर काम करते देखा जा सकता है, यहां पर दूर दराज से मजदूर जिनमें महिला श्रमिक भी होती है नमक उत्पादन से जुडे कामों को करने के लिये आते है जो इनके रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम है, हालाकि बारिश के दिनों में नमक उत्पादन से लेकर झील की क्यारियों में होने वाले सभी काम बंद हो जाते है, लेकिन खुले में रखे हुये नमक को रिफाइनरी तक पहुंचाने के काम में इन दिनों श्रमिक ज्यादा तेजी से जुटे हुये है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां पर काम करने वाले श्रमिकों में ज्यादातर भील जाति से जुडे लोग होते हैं और क्यारियों से नमक निकालने से लेकर उसे रिफाईनरी तक पहुंचाने के काम तक यहीं पर अपना तम्बू लगाकर रहते है, लेकिन बारिश के सीजन के शुरू होने के बाद नमक उत्पादन का काम एक प्रकार से ठप्प हो जाता है जिसकी वजह से काम करने वाले श्रमिक कुछ माह के लिये बेरोजगार भी हो जाते है, ऐसे में ये लोग दूसरे स्थानों पर मेहनत मजदूरी कर अपना परिवार पालते हैं। इन श्रमिकों को इस दौरान वे अनेक समस्याओं का सामना करना पडता है, इन श्रमिकों को अन्य किसी भी प्रकार की कोई सुविधा मुहैया नहीं करायी जाती है, लेकिन इसके बावजूद कडी धूप व सर्दी में भी ये नमक की क्यारियों में नमक ढोने से लेकर क्यारियों से बाहर निकालने का काम करते है।