छोड़िये ये क्या कहेंगे? वो क्या कहेंगे?

खुद से कहिए हम क्या कहेंगे? 



लेखिका : रश्मि अग्रवाल

नजीबाबाद, 9837028700

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पहले स्वयं से पूछें कि आप! क्या स्वयं से प्यार करते हैं? क्या आप स्वयं पर विश्वास रखते हैं? क्या आप सत्य की राह पर चलना चाहते हैं? अगर हाँ! तो स्वयं को भटका, निराश, संकोची या कमजोर मानना छोड़ दें क्योंकि अभी समय है, आप स्वयं को खोजिए कि कौन हैं आप? और जब स्वयं को पा लें तब प्राप्त होगा एक खिलता हुआ कमल, भले ही वो कीचड़ में सना हो, पर होगा मजबूत व सुन्दर क्योंकि जग को सुरभित करने वाला एक पुष्प होता जो अपनी ही सुवास के गुण से साधारण मानव क्या ईश्वर तक को प्रिय होता है। 

इसलिए नकारात्मकता को पीछे छोड़ते हुए कदमों को आगे बढ़ाएँ और स्वयं से प्रेम करते, अपनी मंजिल की ओर बढ़े, फिर देखिए आपको जीवन से प्यार हो जायेगा क्योंकि सही जीने की राह जो मिल जायेगी। हमारे अन्दर एक परामर्शदाता बैठा है, उससे वार्तालाप करिए और ये क्या कहेंगे? वो क्या कहेंगे? इस विचार से पृथक होते हुए स्वयं से कहिए कि हम क्या कहेंगे?