कविता : आंधिया थम जाएगी

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यह वक्त की आंधिया थम जाएगी

मिले हुए घावों की निशानियॉ  रह जायेगी

तुम सुनना इनको यह कहानियों में बदल जाएंगी

इन कहानियों में तुमको जिंदगियां मिल जायेंगी


तुम  चलना  तुम्हारे पथ की यह साथी  हो जायेंगी

चलते चलते यह बहुत सी बातें  बताएगी

तुम सुनना, समझना, महसूस करना 

एहसासों की यह वही  हथेलिया होगी जिन्होंने तुम्हे चलना सिखाया था


चलते -चलते जन मन  थक जाएं तो बैठ जाना किसी वृक्ष की छांव तले

बन्द करके आंखे देखना-देखना  तुम्हारी औरा को छू कर  हवाएं बोलेगी

तुम मान लेना इन सारी बातों को

यह वही बातें होगी जिन्हें तुमने कभी अनसुना किया होगा


फिर बढ़ना -बढ़ते हुए हौसलो से कहना

मेरे यार, मेरे प्यार, मेरे आशीर्वाद

यु ही मेरे अन्दर रहना

मुझे टोकना, मुझे रोकना, और देखना मैं वही हो जाऊँगा 

जो आप चाहते थे 

**  ** लेखिका : ममता सिंह राठौर **  **