राजस्थान धोबी समाज ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम लिखा पत्र

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जयपुर। राजस्थान धोबी महासभा संस्थान, राजस्थान धोबी एकीकरण महासंघ, उड़ान धोबी सेवा संस्थान राजस्थान एवं बसेटा टाइगर फोर्स ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखकर मांग की है कि विश्व हिन्दू धोबी महासभा राजस्थानजब से  राजस्थान की बागडोर आपके हाथों में आई है तब से ही राजस्थान में विद्यमान सभी समाजों को अपने अस्तित्व और अपने मान सम्मान  में स्वयं को गौरान्वित महसूस होने का अवसर प्राप्त हुआ है। इसी कड़ी में हमारी श्रीधोबी समाज को एक नई जागृत दिशा प्रदान हुई है। जैसा की हम  जानते है की वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते आपने लोक डाउन के आदेश जारी किये हुए है। निसंदेह आपने ये आदेश आमजन और हमारे परिवार को सुरक्षित रखने के लिये दिये है लेकिन धोबी समाज का 80 प्रतिशत वर्ग केवल समाज के पुस्तेनी कार्य (कपड़े धुलाई–प्रेस) पर निर्भर है। कोरोना महामारी के चलते समाज के गरीब तबके को जीवन यापन करना बहुत कठिन हो गया है। समाज का प्रत्येक परिवार इस विकट परिस्थिति में अपना परिवार अच्छे से चला पाये समाज के लिये ही बहुत बड़ी बात है। 

पत्र में विपदा की अवस्था में समाज के लिये कुछ माँगें खास मांगे इस प्रकार बताई। वर्तमान में कोरोना के चलते हैं धोबी समाज की रोजगार की व्यवस्था पूरी चौपट हो चुकी है। अतः समस्या को प्राथमिक श्रेणी के रूप में मानते हुए अन्य व्यवसाय की तरह धुलाई प्रेस की दुकानों को भी खोलने की अनुमति प्रदान करें।

विगत 2 वर्षों से कोरोना के चलते हमारे धुलाई प्रेस का व्यवसाय पूर्णतया बर्बाद हो चुका है उस व्यवसाय को पुनः खड़ा करने के लिए हमें सहकारी बैंक एवं राजस्थान में स्थापित अन्य बैंकों के माध्यम से न्यूनतम ब्याज  दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाये एवं महामारी के चलते विगत महीनों से ना ही हम कार्य कर पा रहे हैं और ना ही परिवार का खर्चा उठा पा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में नल एवं बिजली का बिल माफ किया जाये।

पत्र में यह बताया कि कोरोना महामारी के कारण वर्तमान में हमें घर खर्च चलाने में भी अत्यंत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है इस महामारी से बचाव एवं घर खर्च को चलाने के लिए आपसे आग्रह है कि हमें मासिक रूप से आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाये। सभी संगठनों मांग की है कि समाज की जायज माँग पर अतिशीघ्र निर्णय लेते हुए समाज को मदद प्रदान की जाये ताकि हम भी अपना भरण पोषण कर सकें। (प्रेसनोट)