ज्ञानेन्द्र रावत
http//daylife.page
नई दिल्ली। प्रख्यात पर्यावरणविद, गांधीवादी और चिपको आंदोलन के प्रणेता पद्मविभूषित सुंदर लाल बहुगुणा का शुक्रवार दोपहर निधन हो गया। वे 94 वर्ष के थे। उनका ऋषिकेश स्थित एम्स में इलाज चल रहा था जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनको 8 मई को खांसी, बुखार व कोरोना संक्रमित होने पर हालत गंभीर होने पर एम्स में भर्ती कराया गया था। पर्यावरणविद ज्ञानेन्द्र रावत के अनुसार अभी वह आक्सीजन सपोर्ट पर सघन चिकित्सा कक्ष में थे जहां विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम उनकी हालत पर बराबर ध्यान रख रही थी।
उनके निधन पर ग्रिफ्ट के अध्यक्ष डा.जगदीश चौधरी, शिक्षाविद एवं पर्यावरण विज्ञानी डा.जितेन्द्र नागर,गांधीवादी रमेश चंद्र शर्मा, भूगर्भ विज्ञानी प्रभु नारायण, गगनदीप सिंह,सुमन द्विवेदी, प्रशांत सिन्हा, अनुभा जैन, जयश्री सिन्हा,राखी चौधरी, अनिला रामपुरिया, आशीष शर्मा सहित सभी पर्यावरणविद, पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है और कहा है कि ऐसा लगता है कि उनके जाने से हमने अपना संरक्षक खो दिया है और हम अनाथ हो गये हैं। सभी ने दिवंगत आत्मा को ईश्वर से अपने श्री चरणों में स्थान देने और शोक संतप्त परिवार को इस दारुण दुख सहने की शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करने की प्रार्थना की है।