देश कोरोना महामारी के चंगुल में है। कोरोना के प्रकोप से सर्वत्र हाहाकार है। देखा जाये तो देश में कोरोना के चलते हुई मौतों का सही आंकडा़ कभी सामने नहीं आ पायेगा। इसमें किसकी भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, यह अब किसी से छिपी नहीं है। लोग अस्पताल में भर्ती होने के लिए, दवाई के लिए, आक्सीजन के लिए दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। हालत यह है कि अस्पताल में बैड नहीं हैं, वैंटीलेटर नहीं हैं, आक्सीजन नहीं है और तो और अस्पताल ले जाने को एम्बुलैंस तक नहीं है। सबसे ज्यादा समस्या तो आक्सीजन की है। आक्सीजन के अभाव में ऐसे में बहुतेरे घरों में, कुछ अस्पताल ले जाते बीच में, कुछ अस्पताल के बाहर, कुछ बीच सड़क पर दम तोड़ रहे हैं। इन हालात में भी हमारे देश में कुछ लोग दवाई, इंजैक्शन, आक्सीजन , कोरोना वैक्सीन की कालाबाजारी कर अपनी तिजोरियां भरने में लगे हुए हैं। सबसे दुखदायी और शर्मनाक बात तो यह है कि जो अस्पताल में मर गये, वहां और शवगृहों में मरने वाले का चेहरा दिखाने तक के लिए मरने वाले के परिवार वालों से पांच सौ-हजार रुपये की मांग की जा रही है। ऐसे समाचार दिल दहला देते हैं कि क्या हो गया भरत के इस देश को। ऐसा लगता है कि मानवता नाम की कोई चीज बची ही नहीं है। कम से कम नेताओं और तो और सत्ताधारी नेताओं से तो इसकी उम्मीद करना ही बेमानी है जिन्होंने सत्ता की खातिर देश की जनता को इस हाल तक पहुंचाने और मौत के मुंह में झोंकने में अहम भूमिका अदा की है।
इसके बावजूद देश में कुछ संगठन और व्यक्ति ऐसे भी हैं जिन्होंने कोरोना संक्रमण काल के इस भयावह दौर में जबकि अधिकांश स्वार्थ के वशीभूत हो लूट और कालाबाजारी के धंधे में लिप्त हैं, वहीं कुछ ने अपने कार्यों से मानवता की अनूठी मिसाल पेश की है। देश, समाज को ऐसे राष्ट्र भक्तों पर गर्व है। जबकि हकीकत में आज भी कुछ व्यक्ति और कुछ नामधारी संगठन ऐसे हैं जो दिनरात राष्ट्रवादी होने का ढिंढोरा पीटते नहीं थकते ।
यहां हम कुछ ऐसे ही वीर राष्ट्रभक्तों की चर्चा कर रहे हैं जिन्होंने इस संकट की घडी़ में अपना सर्वस्व जनता की सेवा में लगा दिया। इनमें प्रथम हैं उत्तर प्रदेश के जनाब प्यारे खान जी जिन्होंने 16 टन का आक्सीजन टैंकर रोगियों को आक्सीजन की कमी से न मरना पडे़, दान कर दिया।
दूसरे हैं जनाब शाहनवाज शेख जो मुंबई के रहने वाले हैं। इन्हैं आक्सीजन मैन के नाम से जाना जाता है। इन्होंने बीते साल अपनी फोर्ड ऐंडेवर एसयूवी कार बेच दी और गैस के 60 सिलेंडर खरीदे और 40 किराये पर लिए। इसके अलावा और जरूरी संसाधन इकट्ठा कर 300 जरूरत मंद कोरोना पीडि़त रोगियों को आक्सीजन मुहैय्या करा उनकी जान बचाई। कारण इनके दोस्त की बहन ने आक्सीजन के अभाव में आटो में ही दम तोड़ दिया था। इससे उन्होंने कुछ करने की ठानी। इस बार तो उन्होंने मलाड में पूरा वार रूम ही स्थापित कर लिया है जहां मुफ्त आक्सीजन की सुविधा तो वह मुहैय्या कराते ही हैं, किस अस्पताल में बैड मिलेंगे, कहां वैंटीलेटर, आईसीयू आदि की सुविधा मिलेगी, 9892012132 पर इसकी पूरी जानकारी दी जाती है।
तीसरे हैं महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के शिवसेना के विधायक श्री संतोष बांगर जिन्होंने पहले 400 रुपये की दर से 500 लोगों को रेमेडिसीवर इंजेक्शन मुहैय्या कराये लेकिन डिमांड ज्यादा होने पर उन्होंने कंपनी को दस हजार इंजेक्शन का आर्डर दिया जिसके लिए कंपनी ने एक करोड़ चालीस लाख जमा करने को कहा। तब श्री बांगर ने अपनी एफडी तोड़कर उस राशि का कंपनी को भुगतान कर दिया। उनका कहना है कि शीघ्र ही इंजेक्शन मिलते ही प्रशासन की सहायता से जरूरतमंद लोगों को रेमेडिसीवर इजेक्शन बांटा जायेगा।
गौरतलब है कि 2019 के चुनावी हलफनामें में उनकी संपत्ति 92 लाख घोषित की गयी थी। ऐसे में उनका यह योगदान अति महत्वपूर्ण तो है ही, प्रशंसनीय भी है।
चौथे हैं इंदौर के उद्योगपति जनाब जफर मंसूरी जिन्होंने आक्सीजन की कमी से कोरोना पीडि़तों को बचाने की गरज से अपनी आक्सीजन की फैक्ट्री को फ्री कर दिया है।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश जहां आक्सीजन की कमी से हाहाकार मचा हुआ है, सैकडो़ं लोग आक्सीजन की कमी से मौत के मुंह में चले गये हैं और यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। ऐसे हालात में गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित गुरुद्वारा में आक्सीजन की कमी से पीडि़त कोरोना रोगियों की मदद के लिए गुरूद्वारा कमेटी ने निशुल्क आक्सीजन गैस का लंगर लगाया हुआ है।
कमेटी का कहना है कि हमने 18-20 आक्सीजन गैस के सिलेंडर कुछ दूरी पर लगाये हुए हैं। जिस किसी को आक्सीजन की जरूरत है वह रोगी को यहां लाये, हम उसे तबतक आक्सीजन मुहैय्या करायेंगे जबतक उसका आक्सीजन लेबल 95-96 तक नहीं हो जाता और उसके एडमीशन की व्यवस्था किसी अस्पताल में नहीं हो जाती।साथ ही कमेटी के श्री जग्गी जी व श्री इंद्रजीत सिंहजी का कहना है कि इसके अलावा हम वह रोगी जिनके परिवार में और कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे खाने-पीने की दिक्कत है, उसके भोजन-पानी की भी पूरी व्यवस्था कर रहे हैं।
इंदौर के खजराना इलाके को लोग मिनी पाकिस्तान कहकर बदनाम करते हैं। वहीं की खजराना हैल्थ कमेटी रात दिन यानी चौबीसो घंटे उन लोगों जिन्हें आक्सीजन की बेहद जरूरत है, उन्हें आक्सीजन मुहैय्या करा रही है ताकि जबतक उनका किसी अस्पताल में एडमीशन न हो जाये, तबतक आक्सीजन के अभाव में उन्हें अपने प्राणों से हाथ ना धोना पडे़।
असलियत यह है कि ऐसे हजारों लोग हैं जो निस्वार्थ भाव से अपना सब कुछ होमकर चौबीसौ घंटे इस महामारी के दौर में अपनी जान की परवाह न कर सेवा कर देश बचाने के यज्ञ में अपनी आहुति दे रहे हैं। हमें मां भारती के ऐसे सपूतों पर गर्व है। इतिहास में इनका नाम गर्व से लिया जायेगा बजाय उनके जो मित्रो-मित्रो कहकर देश की अबोध जनता को कोरोना महामारी की सौगात देकर पितरों के पास पहुंचाने के प्रयास में लगे हुए हैं। इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। इसमें दो राय नहीं। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)
लेखक : ज्ञानेन्द्र रावत