लेखक : नवीन जैन
इंदौर, 9893518228
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हरियाली खुदा की सबसे बड़ी नेमतों में से एक है। इसी से जीवन मे आशा , उत्साह , उल्लास,उमंग,और ताजगी जैसे भाव जागते है। हरे भरे पेडों की एक एक पत्ती ,फल ,फूल जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण देते है । फूल पत्ती पर न जाने कितने गीत लिखे गए तथा ढेर सारा साहित्य प्रकाश में आया और अब एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई कि शहर के रिहायशी इलाकों में हरे भरे ऑक्सीजन पार्क बनाये जाने की कवायद की जा रही है। ज्ञातव्य है कि कोरोना में या अन्य बीमारियों में या सामान्य जीवन मे भी ऑक्सीजन जिसे प्राणवायु कहते हैसहज अनुमान इस तरह लग सकते मनुष्य भोजन के बिना कई दिनों तक जीवित रह सकता है लेकिन उसे वायु यानी ऑक्सीजन नही मिले तो उसका जीवितरहना असम्भव है। ऐसे में शहरों की खाली पड़ी जमीनों पर बाग बगीचों को घूमने फिरने के अलावा नए रूप में (यानी ऑक्सीजन पार्क ) में ढाले जाने की कोशिश कई शहरों में हुई है जिसमे रांची, तेलगाना , राजकोट ,छत्तीसगढ़, इंदौर तथा भोपाल जैसे शहर है। कहा भी जाता है कि किसी जमाने मे सबसे ज्यादा बाग बगीचे इंदौर में हुआ करते थे।
ऐसे पूरी होगी ऑक्सीजन की कमी
कोरोना काल खंड में जब ऐसी खबरें भी आ रही है कि ऑक्सीजन की भी आपूर्ति में कई जगह परेशानी आ रही है तो ऐसी खबरें सुकून देती है कि शहरों की खाली पड़ी सरकारी जमीनें, छात्रावासों के मैदान जो उपयोग में नही आ रहे हो , नगरनिगम के डिवाइडरों जैसी जगहों पर ऐसे पेड़ पौधे लगाए जाएंगे जो ज्यादातर घण्टे ऑक्सीजन देते है। इन पेड़ पौधों में पीपल,नीम, बरगद,तुलसी,जामुन,गूलर, आँवला, बहेरा, अमरूद सीताफल, हर्रा तथा बांस के पेड़ है । घ्यान रहे कि पीपल 24 घण्टे में से 22 घण्टे से भी ज्यादा समय तक ऑक्सीजन देता है। बांस पृथ्वी पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रजाति है तथा वह हर 24 घण्टे में से 2 से 3 इंच बढ़ता है। इसके अलावा बांस दूसरे किसी पेड़ पौधों की अपेक्षा 33 फीसदी अधिक कार्बनडाई ऑक्साइड अवशोषित करता है और 35 फीसदी से अधिक ऑक्सीजन देता है।
फायदे ही फायदे ऑक्सीजन के
यह बात सौ फीसदी सच है कि इंसान का शरीर सुचारू रूप से तभी काम कर पाता है जब उसके सभी भागों में ऑक्सीजन की पूर्ति आवश्यकतानुसार होती है। ऑक्सीजन की वजह से ही शरीर उचित तरह से काम करता है। ऑक्सीजन की ये पूर्ति पूरे शरीर मे खून के जरिये होती है। हमारे शरीर मे 90 फीसदी एनर्जी ऑक्सीजन की वजह से मिलती है। प्रातःकाल टहलने से तथा गहरी सांस लेने से फेफड़ो में ज्यादा से ज्यादा शुद्ध हवा आती है जिससे शरीर को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है। इससे रक्तप्रवाह तेज होता है तथा स्फूर्ति आती है। शुद्ध हवा से हड्डियों तथा मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। त्वचा की चमक के साथ उसमे निखार भी आता है।
संजीवनी बना रांची का पार्क
वैसे तो रांची में कई बाग बगीचे है पर एक अनोखा बगीचा जिसे शहीद नीलांबर पीतांबर पार्क यानी ऑक्सीजन पार्क भी कहा जाता है। एक संजीवनी की तरह इस पार्क में ऑक्सीजन देने वाले पेड़ पौधों के अलावा कई तरह के फूल और नई नई किस्म के पौधे भी लगाए गए है । सेहत के साथ यहाँ मनोरंजन का भी पूरा ख्याल रखा गया है। एक अच्छी खबर यह भी है कि रांची में इस तरह के कई और पार्क भी विकसित करने की योजना भी है।इसी तरह का एक प्रयास उपवन तथा जीवन पार्क सोसायटी के लोगो ने खुद ही कर दिखाया । 150 किस्मो से सजा यह ऑक्सीजन बगीचा लोगो को इमोशनली तथा फिजिकली स्ट्रांग बनाने में मदद कर रहा है।
छत्तीसगढ़ का अटल स्मृति वन
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अटल स्मृति वन जो 18 एकड़ में फैला है। उसे भी ऑक्सीजन पार्क में तब्दील किया जा रहा है। इस ऑक्सीजन पार्क में 3500 प्रजाति के पेड़ पौधे लगाए जा रहे है। प्रथम चरण में बन चुके इस पार्क में ढेरों स्थानीय पेड़ पौधे लगाए जा चुके है। शुद्ध हवा के मामले में इसी तरह की पहल राजकोट के एक इलाके में भी की गई है। कम इलाके में फैले इस ऑक्सीजन पार्क में 150 से अधिक प्रजाति के तकरीबन साढ़े तीन हजार ओषधीय पेड़ लगाए गए है। यह पार्क अब मिनी फारेस्ट का रूप ले चुका है।
अनोखा ऑक्सीजन पार्लर
ऑक्सीजन पार्क के ढेरों फायदों के बीच एक खबर यह भी रोमांचक है कि महाराष्ट्र के बड़े शहर नासिक में देश का पहला ऑक्सीजन पार्लर बनाया गया है। नासिक रेलवे स्टेशन पर बना यह पार्लर लोगो को शुद्ध हवा के साथ नए नए पेड़ पौधों की जानकारी भी देगा । मजेदार यह भी है कि इस पार्लर से पेड़ पौधे खरीद भी सकते है। 24 घण्टे ऑक्सीजन देने वाले पेड़ पौधों के इस पार्लर की खासियत यह भी है कि नासा ने जो 38 ऑक्सीजन देने वाले पौधों की सूची जारी की है उनमें से 18 पौधे भारत मे बहुत बड़ी मात्रा में पाए जाते है। इनमे पीपल,तुलसी ,बरगद भी है।
कहने का आशय यह है कि यदि इन शहरों की तरह अन्य छोटे बड़े शहरों में भी खाली पड़ी जमीनों को ऑक्सीजन पार्क में बदलने का प्रयास करे तो बहुत कम खर्च में हम अपने शहरों की आबोहवा शुद्ध बना सकते है क्योकि हैरानी की बात यह है कि भारत मे सिर्फ 35 अरब पेड़ है। यानी एक व्यक्ति के लिए सिर्फ 28 पेड़। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)