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उत्तराखण्ड के हाल फिलहाल बने मुख्यमंत्री श्री टी एस रावत बहुत ही सज्जन व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। उनकी प्रतिष्ठा भी उनके व्यक्तित्व के अनुरूप ही है। यह जगजाहिर है। शपथ ग्रहण के साथ ही उत्तराखण्ड के विकास और पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में उनसे काफी अपेक्षाएं हैं। लेकिन जैसा कि अक्सर होता आया है मैं अकेले भाजपा की ही बात नहीं करता हर दल में चाटुकारों की बहुतायत है और कभी कभी तो चाटुकारिता में सीमाएं भी छोटी पड़ जाती हैं।
लेकिन उत्तराखण्ड के नये बने मुख्यमंत्री रावत ने तो चाटुकारिता में सभी सीमाओं को तोड़ दिया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना भगवान राम से कर दी। उन्होंने कहा है कि आने वाले समय में मोदी जी की पूजा भगवान राम की तरह की जायेगी। उन्होंने कहा है कि भगवान राम ने भी समाज के लिए अच्छे काम किये, इसलिए वह पूजे गये। इसी तरह मोदी जी ने भी उनकी तरह समाज के लिए अच्छे काम किये हैं, इसलिए उनकी भी भगवान राम की तरह पूजा की जायेगी। ऐसा लगता है कि मंत्री, मुख्यमंत्री का पद ही ऐसा है कि पद पाते ही चारण वंदना शुरू हो जाती है। वैसे रावत जैसे व्यक्ति से ऐसी उम्मीद नहीं थी लेकिन उन्होंने भाजपा नेताओं में व्यक्ति पूजा और चाटुकारों की श्रृंखला में सबको पीछे छोड़ अपना नाम सबसे उपरी पंक्ति में दर्ज करा लिया है। धन्य है हमारा देश जहां भगवान राम के बाद इस युग में उनका पुनः मोदी जी के रूप में टी एस रावत ने पुनर्जन्म करा दिया है। है ना गर्व की बात कि देश की जनता अब मोदी जी को ताड़नहार ही नहीं भगवान के रूप में देखेगी। इसके लिए उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री टी एस रावत बधाई के पात्र हैं। उन्हें शत शत नमन। (लेखक के अपने विचार एवं अपना अध्ययन है)
लेखक : ज्ञानेन्द्र रावत
( ज्ञानेन्द्र रावत वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद हैं)