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मुम्बई। एण्डटीवी के ‘एक महानायक-डाॅ. बी.आर आम्बेडकर’ में जब भीमराव (आयुध भानूशाली) के पिता (जगन्नाथ निवानगुने) उनकी सौतेली मां जीजाबाई (स्नेहा मंगल) के पास जाते हैं, भीमराव के जीवन में तुरंत ही चुनौतियां सिर उठाने लगती हैं। वहीं, दूसरी तरफ भीमराव पर परिवार के पालन-पोषण, भाई-बहनों की पढ़ाई और काम की भी जिम्मेदारी आ जाती है। जब उसे पता चला कि हरि सेठ का बेटा सूरज उसके साथ बुरा बर्ताव कर रहा है तो वह पलटकर जवाब देता है। यह दांव उस पर उल्टा पड़ जाता है। पूरा घटनाक्रम नाटकीय मोड़ ले लेता है और सूरज सारा इल्ज़ाम भीमराव के सिर डाल देता है। वह उस पर अपने पिता से अलग करने का आरोप लगाता है और अंततः आत्महत्या की धमकी देता है। क्या ऐसी स्थिति में भीमराव घटना का रुख मोड़ पायेगा या फिर यह इल्ज़ाम उसके सिर आ जायेगा? जगन्नाथ निवानगुने कहते हैं, मुश्किल परिस्थितियां इंसान को मजबूत ही बनाती हैं और भीमराव के मामले में यह बात साबित भी होती है। वह सारी जिम्मेदारी उठाने और अपने आस-पास सभी लोगों का ख्याल रखने की पूरी कोशिश कर रहा है।
लेकिन क्या यह गलतफहमी एक वीभत्स रूप लेगी और पिता-बेटे को अलग करने का इल्ज़ाम भीमराव के सिर आ जायेगा? भीमराव अपने पिता के बिना कैसे इस युद्ध को लड़ेगा। इस स्थिति में कौन उसका साथ देगा और उसका मार्गदर्शन करेगा? ‘एक महानायक-डाॅ. बी.आर आम्बेडकर’, हिन्दी जनरल एन्टरटेनमेन्ट चैनल की दुनिया में इस असाधारण व्यक्तित्व के बारे में पहली बार दिखायी जाने वाली कहानी है। किस तरह उन्होंने लोगों को प्रेरित किया और कैसे वह एकजुट भारत के प्रणेता बने, इसमें दिखाया गया है। इस शो को स्मृति सुशीलकुमार शिंदे की ‘एसओबीओ (सोबो) फिल्म्स‘ ने प्रोड्यूस किया है। यह बाबासाहेब के जीवन और उनके पूरे सफर की एक प्रेरक कहानी है जिसमें पांच साल की उम्र से लेकर भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता बनने तक उनकी कहानी बतायी गयी है।