लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी कायस्थ समाज के शमशान घाट की उपेक्षा
कायस्थ समाज के शमशान घाट में आज भी मिट्टी के टीले

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील (जयपुर) । सांभर में पालिका प्रशासन की ओर से निवर्तमान बोर्ड के कार्यकाल में अनेक समाजों के शमशान घाट के बाहरी व अंदरूनी हालात को सुधारने के लिये लाखों रूपये खर्च कर जो कार्य करवाये गये  है वह निश्चित रूप से विगत पांच दशकों के बाद यह मिसाल देखने को मिली है, लेकिन मरघट के कार्यों में भी यदि कोई राजनीति के चलते किसी के प्रेशर में आकर उसमें भेदभाव जैसा कार्य करे तो उसकी आलोचना व प्रत्यालोचना होना लाजमी है। 

भूतेश्वर बगीची, नावां रोड के पास कई बीघा क्षेत्र में फैला यह शमशान घाट ग्रामीण क्षेत्र का सबसे बडा शवदाह गृह है जहां पर अलग अलग हिस्सों में अनेक समाज के लोग काम में लेते है, यहां पर सभी जगह बहुत बढिया काम हो रहा है, लेकिन कायस्थ समाज के शमशान घाट में कार्य के प्रति जो भेदभाव व अनदेखी बरती जा रही है उससे समाज के लोग खुश नहीं है और न ही पालिका की ओर से कराये जा रहे काम से संतुष्ट है। कायस्थ समाज के पूर्व अध्यक्ष युगराज माथुर व संगठन सचिव आलोक जौहरी ने बताया कि पालिका प्रशासन की ओर से समाज के शवदाह गृह के काम में भेदभाव पूरी तरह से बरता जा रहा है, यहां पर अंतिम संस्कार के दौरान आने वाले लोगों के लिये पास में कोई पेयजल की व्यवस्था नहीं है, हरियाली का अभाव बना हुआ है, गर्मी के सीजन में तो यहां पर आने वाले लोगों को जबरदस्त परेशानी झेलनी पडती है। 

सौन्दर्यीकरण का काम भी अधूरा ही यहां पर पडा हुआ है, कुछ जगह टीले से जमे हुये है उन्हें भी नहीं हटाया जा रहा है, काम तो पूरा होने की बात दूर रही मिट्टी के जमे हुये टीले तो कम से कम वहां से हटाने चाहिए। सड़क के किनारे पीचिंग का कार्य भी नहीं हुआ है। इससे समाज की भावनाएं भी पूरी तरह से आहत हो रही है। इस मामले में सहायह अभियन्ता रवि कुमार कुमावत से बात करने पर बताया कि हम तो काम करने को तैयार है, लेकिन समाज के किसी भी पदाधिकारी व सदस्य ने आकर कभी यह बताने की जुर्रत ही नहीं की उनकी समस्या क्या है, जिम्मेदार पदाधिकारी आकर बताये उसके अर्कोडिंग काम करवा दिया जायेगा।