संगीता शाक्य एवं जहाँआरा जिन्होंने भी जनसेवा से अपने को कभी विमुख नहीं होने दिया
ग्वालियर। महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन कर हम अपने कार्यो का नियोजन कर ही रहे रहे कि भारत में जैसे ही वर्ष 2020 आया तो दुनिया के लिए बहुत ही दुःखद सन्देश लेकर आया। जिसने दुनिया भर की नींद उड़ा दी और महामारी की शुरूआत देकर हर इंसान को डरा दिया वैज्ञानिक लोग इसका इलाज खोजने लगे। बीमारी को नाम दिया गया कोरोना (कोविड-19) जिसके उपचार में शुरू से काबू पाने के प्रयास विश्वस्तर पर होने लगे। लगा जैसे पूरी दुनिया एक हो गई हो। लोगो ने अपने घरो मैं सीमित कर लिया और रह गया सड़कों पर सन्नाटा। लोगों की जिंदगी मानो थम सी गई हो। जरूरी सामान मिलना भी मुशिकल हो गया। जो अलग होकर भी एक समान सोच और कुछ करने के जज्बे ने इतना पास ला दिया, लगता ही नहीं कि कभी दूर रहे हो एक शक्ति पुंज है श्रीप्रकाश सिंह निमराजे, संगीता शाक्य, जहाँआरा अपने आत्म विश्वास, द्रण इच्छा शक्ति और कठिन परिश्रम के बल पर जो विशिष्ट होते हुए भी आम हैं।
विशद अर्थों में देखें तो यह अपने आप में एक विरोधाभास है; ऐसा व्यक्ति जो एक बड़े जनमानस का प्रतिनिधि करता है, साथ ही वह इतना सामान्य भी है कि आमजनों के लिए सर्वसुलभ है। संत कबीर के शब्दों में कहें तो ‘सहज सहज सब कोई कहै, सहज न चीन्हैं कोय। जिन सहजै विषया तजै, सहज कहावै सोय।‘ लेकिन इन सभी सहजताओं को सहेजते हुए असाधारण व्यक्तित्व के धनी, सामाजिक न्याय के ध्वजवाहक, समाजवाद के अप्रतिम सेनानी, वंचितों की शिक्षा के पैरोकार, सरल एवं सरस हृदयी व्यक्तित्व, कर्मठ और देश-समाज के के प्रति समर्पित जननायक कहा जा सकता है।
राज्य प्रशासनिक सेवा में होमगार्ड की प्रथम महिला अधिकारी और युवाओं के समक्ष समाजसेवा मैं श्रीप्रकाश सिंह निमराजे एक प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत किया। वे सदैव दूसरो के अधिकारों, आत्म सम्मान, मानवीय मूल्यों और संविधान की रक्षा के लिए आगे बढ़ें और समतामूलक लोकतांत्रि भारत का निर्माण करने में सदैव प्रयत्नशील रहने चाहिए। उनका मानना है हम पर जो समु पर बन सके करें। उससे विमुख न हो यदि इरादे मजबूत व बुलन्द हो तो शारीरिक अक्षमता भी आपको आगे बढ़ने से कोई भी नही रोक सकता। चाहे कोई भी कितना भी हतोत्साहित करे लेकिन काम करने से रोक नही सकता। आर्थिक विपत्तियों का सामना कर कठिनतम परिस्थिति से जूझते हुए आपने आफर ठुकरा भेदभाव की नीति के खिलाफ सदैव लडते रहे।
आज महामारी से लडने और जीतने वाले सावधानी के साथ सड़को पर है लेकिन वह ख़ौफनाक मंजर कोई नहीं भूल सकता। सरकारों ने वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों की सलाह से मानव जाति को बचाने के लिए सलाह दी। उसका पालन करने ओर पालन करने के लिए उनको जागरूक करने की भूमिका भी निभाने लगे प्राथमिक उपचार के तहत इंसान को इंसान से दूर रहने या कहे फिजिकल बनाये रखने और मास्क लगाने और नियमित रूप से साबुन से हाथ धोते रहने की सलाह दी। साथ ही दुनिया की रफ़्तार थम सी गई। सभी जगह लॉक डाउन के हालत लगे हुए थे। तमाम राष्ट्राध्यक्षों को नागरिकों में भरोसा और सुरक्षा की दृष्टि से राष्ट्र को सम्बोधित किया जाने लगा। उसी का अक्षरत पालन करते हुए अपने कर्तव्य को पालन करते हुए आप सब सुरक्षित रहें यही हमारा प्रथम कार्य और फ़र्ज़ है।
इस भयंकर महामारी से संघर्ष करने और नागरिकों को बचाने के लिए चिकित्साकर्मियों, मेडिकल डिपार्टमेंट, सिक्योरिटी फोर्सेज, पुलिस, सफाईकर्मी और आवश्यक सरकारी मशीनरियों से समनव्य के साथ काम करने और सहयोग लेने से कभी हिचकिचाये नहीं एक ही मकसद रहा ज्यादा से ज्यादा लोगों को महामारी के संभावित खतरों से बचाया जा सके। ऐसा ही हुआ और हो रहा है कर भी कर रहे है। इन सभी सर्विसेस से जुड़े लोगों को अपने घरवालों की भी फ़िक्र नहीं करते हुए देश के हर नागरिक को बचाने के लिए अपने-अपने दायित्व को अंजाम देते रहे। अनेक स्टेप्स से गुजरते गुजरते महामारी धीरे-धीरे काबू में आती नज़र आने लगी। हालात की समीक्षा कर समय, रहन सहन, कारोबार में रियायतें दी जाने लगी।
दिसम्बर आते आते दुनिया में वैक्सीन पर काम कर रहे वैज्ञानिकों की ओर से शुभ संकेत आने लगे और दुनिया में मानवता को बचाने के लिए जल्द ही वैक्सीन उपलब्ध होने के समाचार मिले। लेकिन न जाने कब तक कोरोना की मार्गदर्शिका, गाइड लाइन्स दुनिया को माननी पड़ेगी। (प्रेस नोट)