अमरीकी प्रशासन में दक्षिण भारतीयों का दबदबा
लेखक : लोकपाल सेठी

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक मामलों के विश्लेषक 

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अमरीका की नई उप राष्ट्रपति कमला हैरिस को जब वहां सत्ता में आई डेमोक्रेट पार्टी ने इस पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया तब से भारतीय मूल की इस महिला के तमिलनाडु गाँव में उत्सव का माहौल बनाना शुरू हो गया था। जिस दिन मतों की गिनती शुरू हुई उसी दिन से इस गाँव के मंदिर में पूजा पाठ शुरू हो गया था। उनकी जीत के लिये लगातार मन्त्र पाठ हो रहा था। जब तक मतों की गिनती पूरी नहीं हुई तब तक गाँव में लोग रात भर जागकर टीवी के  सामने बैठकर मतों की गिनती को देख रहे थे। जीत के बाद तो मंदिरों की घंटियाँ बजनी शुरू हो गयी थी। 

अमरीका के इन चुनावों में पहली बार कोई महिला उप राष्ट्रपति चुनी गयी हैं। वे भी अश्वेत समुदाय की। वे भारतीय मूल की है इसलिए भारत को गर्व होना  स्वाभाविक ही है। उनका दक्षिण भारत की होना तमिलनाडु के लोगों को सबसे अधिक खुश होना जरूरी है। अमरीका के इन चुनावों लगभग एक दर्ज़न भारतीय या तो वहां की सीनेट के या फिर कांग्रेस यानि वहां की संसद के निचले सदन के लिए चुने गए है। इनमें भी अधिक संख्या दक्षिण  भारतीयों की है। नये राष्ट्रपति जॉय बिडेन ने प्रशासन चलाने के लिए जिनको नियुक्त किया किया है। उसमें भारतीय मूल के बहुत से लोगों को लिया गया है। इनमें भी दक्षिण भारतीयों का बोलबाला है। 

उन्होंने तेलंगाना मूल के विनय रेड्डी को अपने भाषण तैयार करने के लिए नियुक्त किया किया था। शपथ ग्रहण के के बाद राष्ट्रपति ने जो अपना पहला भाषण दिया वह तेलंगाना के करीमनगरजिले के एक छोटे से गाँव पोथीरेड्डीपेटा के इस युवक ने ही लिखा था। उनके पिता नारायण रेड्डी बहुत पहले ही  अमरीका चले गए थे। विनय का जन्म भी वहीं हुआ था, बचपन वे अपने पिता के साथ इस गाँव में आया करते थे। उनका पूरा परिवार गाँव के मंदिर में पूजा पाठ किया करता था। विनय के पिता की अभी भी गाँव में दस बीघा जमीन है। विनय काफी समय से डेमोक्रेट पार्टी से जुड़े हुए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान  उन्होंने नही बिडेन के भाषण लिखे थे। उनके लिखे भाषणों की बहुत तारीफ  हुयी थी। तभी यह कहा गया था कि अगर बिडेन  राष्ट्रपति बनते है तो उनके प्रशासन में विनय को कोई बड़ा पद मिलेगा। अब प्रशासन में शामिल होने के बाद गाँव के लोग उन्हें गाँव में आमन्त्रित करने की तैयारी में लगे है। 

पिछली ओबामा के नेतृत्व वाली डेमोक्रेट सरकार में कर्नाटक के मैसूर मूल के युवा डॉक्टर विजय मूर्ती को अमरीका का सर्जन जनरल बनाया गया था। वहां अब यह कयास लगाया जा रहा है कि जल्दी ही उन्हें उनके पुराने पद पर नियुक्त किया जा सकता है।   

अब हम फिर लौटे है कमला हैरिस की ओर उसके नाना पी. वी. गोपालन तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले के छोटे से गाँव तुल्सेन्द्रपुरम रहने वाले थे। वे भारतीय  विदेश सेवा के अधिकारी थे। उनकी बेटी श्यामला पढने के लिए अमरीक गयी थी। वहीं बाद में उन्हें वहीं नौकरीं मिल गयी। उन्होंने एक साथी प्रोफेसर से शादी कर ली। उनकी दो बेटियां कमला और माया है। बाद में उनका अपने पति से तलाक हो गया, श्यामला अपनी दोनों बेटियो को लेकर अपने पिता के पुश्तैनी  गाँव में आती थी। उन्होने गाँव के मंदिर के विस्तार के लिए दान भी किया था। 

उनका नाम दान कर्ताओं की सूची में आज भी देखा जा सकता हैं। बचपन से कमला अपनी मौसी के बहुत नज़दीक थी। उन्हें दक्षिण के भारतीय व्यजनों में से इडली बहुत पसंद है। आज भी वे नाश्ते में इडली को प्राथमिकता देती है। वे पेशे से वकील है। वे बहुत पहले से ही डेमोक्रेट पार्टी से जुडी हुईं है। वे अमरीकी सीनेट की सदस्य बनने तक पहुँची। चुनावो से पूर्व वे पार्टी के भीतर वे राष्ट्रपति पद की मजबूत दावेदार थी। लेकिन चुनावी फण्ड जुटाने में पीछे रहने के कारण उन्होंने उम्म्मीवारी की दौड़ से अपने आपको अलग कर लिया। उन्होंने अधेड़ उम्र में डगलस हम्प नाम के वकील से शादी करे ली। डगलस हम्प के अपनी पहली शादी दो बच्चे हैं। वे चारों एक साथ रहते है। बच्चे अपनी सौतेली माँ को मोमला कह कर पुकारते है। वे अपनी सौतेली माँ के बहुत नज़दीक है। 

कमला हैरिस बहुत अच्छा खाना बनाती हैं। उन्होंने अपने पति को भी एक अच्छा कुक बना दिया है। वे कुछ को छोड़ अपने भारतीय रिश्तेदारों के संपर्क में नहीं है। दिल्ली में रहने वाले उनके एक मामा गोपालन बालचंदर के संपर्क में जरूर हैं। नब्बे ववर्ष से अधिक उमर के बालचंदर शिक्षाविद है। हैरिस उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने कमला हैरिस को यह सलाह दी कि उसकी माँ ने जो उसे सीख दी है। उसी पर चलकर अमरीकी प्रशासन में योगदान करे। तमिलनाडु के रोटरी क्लब जैसे कुछ संगठन उन्हें अपनी ओर से उन्हें भारत की यात्रा पर बुलाने की कोशिश कर रहे हैं। (लेखक का अध्ययन एवं अपने विचार है)