सात दशकों से क्षेत्रवासियों को सांभर जिला घोषित होने का इंतजार

आजादी के बाद से हर सरकार से बजट सत्र में रहती है विशेष आस

मापदण्डों पर पूरा फिर भी सपना है अधूरा

सांभर से शैलेश माथुर की खास रिपोर्ट 

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सांभरझील। प्रदेश का सबसे पुराना उपखण्ड एवं वर्तमान में उप जिला का दर्जा हासिल सांभर जिला घोषित होने के लिये वर्ष 1952 से लगातार संघर्षरत है। हर सरकार के प्रत्येक बजट सत्र में क्षेत्रवासी इसी उम्मीद में रहते है कि इस बार नवीन जिला बनाये की सूची में सांभर को प्रमुखता से लिया जायेगा, लेकिन बीते सात दशकों में खासकर बार एसोसिएशन सांभर की ओर से जिला घोषित किये जाने के लिये वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत, नवीन जिला बनाओ कमेटी के समय समय पर अध्यक्ष नियुक्त किये गये रिटायर्ड आईएएस परमेशचन्द व जीएस संधु के समक्ष विस्तृत ब्यौरे को पुस्तक के रूप में संकलित कर व्यक्तिश: सौंपे गये प्रतिवेदन आज भी सरकार के समक्ष विचाराधीन चल रहे है। इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान भी बार एसोसिसशन की ओर से प्रतिवेदन को नये रूप में फिर से प्रस्तुत कर उन्हें सौंपकर सांभर को जिला बनाये जाने का अनुरोध किया गया था। 

इसमें खास बात यह भी रही है कि सरकार की ओर से अब तक सांभर को जिला बनाये जाने के लिये जो कमेटी के अध्यक्ष बनाये गये थे उन सभी की ओर जिला कलक्टर व पुलिस प्रशासन से गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर शासन व प्रशासन तक सांभर को जिला घोषित किये जाने के लिये उपयुक्त मानते हुये अपनी अभिशंसा भी सौंपी थी, लेकिन सांभर जो कि जिले के लिये सभी प्रकार की तमाम औपचारिकताओं को निभाता है उसके बाद भी जिले का दर्जा नहीं मिलने के पीछे मुख्य वजह यहां की कमजोर व छिछली राजनीति सबसे ज्यादा आड़े आ रही है, यहीं वजह है कि सांभर को जिला घोषित नहीं किये जाने के लिये सरकार चाहते हुये भी इसलिये मन नहीं बना पा रही है कि जयपुर जिले से अन्यत्र जगहों से उठ रही जिले की मांग वहां के राजनेताओं की ओर से पूरे प्रेशर के साथ उठायी जा रही है। सांभर को जिले का हक नहीं मिलने से क्षेत्र में अनेक ज्वलन्त समस्यायें आज भी मुंह बायें खड़ी है, रोजगार के लिये कोई इण्डस्ट्रीज नहीं लग पायी है, सैंकड़ों परिवार रोजगार की कमी के चलते सांभर छोडकर जा चुके है,आज भी इसी कमी के चलते धीरे धीरे यहां से लोगों का पलायन जारी है। 

सांभर से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर नागौर, सीकर, अजमेर, जयपुर जिले के अनेक तहसीलों की सन्निकटता भी जिले का प्रमुख आधार है। सांभर को जिला घोषित करने से राजधानी सहित इन तमाम जिलों पर पड रहा आबादी का दबाव भी कम होगा और सरकार को प्रशासनिक व कानूनी दृष्टि से नियंत्रण करने में भी सहूलियत होगी। वर्तमान परिपेक्ष्य में सांभर को जिला घोषित किये जाने के लिये बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत, सचिव सुरेश कुमार शर्मा ने इसके लिये सरकार से इसी बजट सत्र में यह सौगात दिये जाने का खास गुहार लगायी है।