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मुम्बई। आर.के. लक्ष्मण के जन्म शताब्दी वर्ष पर वागले की दुनिया के बारे में बात करते हुए उषा लक्ष्मण ने कहा, नई सीरीज, पुरानी वागले की दुनिया की तरह, परिवार को साथ लाने की संस्कृति लाएगी :
टेलीविजन पर वागले की दुनिया की वापसी कैसी लग रही है?
टेलीविजन पर वागले की दुनिया की वापसी से मेरा परिवार और मैं बहुत रोमांचित हैं। यह साल उनकी जन्म शताब्दी का है और हम इस शो से उसका जश्न मना रहे हैं।
आर.के. लक्ष्मण एक्टिंग के फील्ड में हमेशा से कुछ करना चाहते थे। कार्टूनिस्ट का काम फिल्म बनाने जैसा ही होता है। संक्षिप्त में कहूं, तो वह एक फिल्ममेकर होता है, जो पटकथा, किरदार, माहौल, प्रॉप्स लाता है और उन्हें मिलाकर एक कहानी बनाता है। तो जब उन्हें वागले की दुनिया का मौका मिला, तो यह उनके लिये रूटिन वर्क से रिलेक्स होने का समय था और उन्होंने इसका बहुत मजा लिया।
मूल रूप से वागले की दुनिया कैसे संभव हुआ?
इसकी शुरूआत तब हुई, जब दुर्गा खोटे की बहू टीना खोटे ने आर.के. लक्ष्मण से मुलाकात की और कहा कि आपके कार्टून टेलीविजन पर आने चाहिये। इसे अलग तरीके से कैसे देखा जा सकता है। तो उन्होंने हामी भर दी, लेकिन कहा कि उनके कार्टून में आम आदमी बोलता नहीं है। वे आम आदमी की जिन्दगी के लिये अपने कॉन्सेप्ट और आइडियोलॉजी के आधार पर कुछ बनाना चाहते थे और हर स्थिति में ह्यूमर लाना चाहते थे। फिर उन्होंने एक किरदार बनाया, जो आम आदमी की जिन्दगी की हर स्थिति को वास्तव में प्रस्तुत कर सकता था।
क्या आपके हिसाब से आर.के. लक्ष्मण के कार्टून आज भी प्रासंगिक हैं?
उनका काम आज भी बहुत प्रासंगिक है। उन्होंने हर विषय को कवर किया है, राजनीति, विज्ञान, सामाजिक या कोई अन्य विषय। उन्होंने आम आदमी और उसके जीवन को छूआ है। आज भी, जब हम महामारी से जूझ रहे हैं, उनके कार्टून बहुत प्रासंगिक हैं। उनके कई कार्टून आमतौर पर वायरस से संबंधित हैं, जो आज की स्थिति से बहुत मेल खाते हैं और जो हमने पिछले साल देखा। इसलिये, उनके कार्टून अमर हैं।
वागले के किरदार और पूरे शो को जीवंत कैसे बनाया गया?
जब कॉन्सेप्ट के स्तर पर काम पूरा हो गया और टीम बन गई, जिसमें श्री रवि ओझा, अजय कार्तिक, टीना खोटे और कुंदन शाह थे, तब लक्ष्मण अपने दफ़तर से निकल जाते थे और उनके साथ शाम बिताते थे और एपिसोड बनाते थे। वे हिन्दी भाषा के साथ बहुत फैमिलियर नहीं थे, तो पूरा कॉन्सेप्ट इंग्लिश में पढ़ते थे और वहाँ के लोग उसका नोट बनाते और उसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग करते थे। वे हर किरदार की एक्टिंग करके बताते थे, खासकर मिस्टर वागले और राधिका के किरदारों की। वे समझाते थे कि बारीकी से व्यंग्य कैसे लाना है और कॉमेडी को सच्चाई के स्तर पर कैसे लाना है, ठीक वैसे ही, जैसा हम हर दिन देखते हैं। वागले की दुनिया बनाने की पूरी यात्रा में इस बात का वे खास ध्यान रखते थे। अजय कार्तिक पटकथा लिखते थे और मिस्टर लक्ष्मण को बताते थे, फिर वे उसे अपना फ्लेवर देते थे।
लक्ष्मण हमेशा कहते थे कि वे वागले की दुनिया में भी अपने काम की गरिमा, परिष्करण और संपूर्णता चाहते हैं। मुझे लगता है कि इसी कारण यह शो सफल हुआ- सूक्ष्मता और वास्तविकता का स्तर, जिसे वे कॉमेडी में लाए। उन्होंने कहा था कि कॉमेडी ऐसी चीज है, जो आप बना नहीं सकते। कॉमेडी सहज होती है। तो आप सहजता कैसे लाएंगे और उसे टीवी जैसे माध्यम पर कैसे ले जाएंगे, एक्टर्स को उनके किरदार में ढालकर। अगर एक्टर्स अपने दैनिक जीवन की स्थितियों का विश्लेषण करेंगे, तभी कॉमेडी कर सकेंगे।
आज की पीढ़ी को वागले की दुनिया- नई पीढ़ी, नये किस्से! क्यों देखना चाहिये?
जब वागले की दुनिया का प्रसारण शुरू हुआ था, तब लोग पूरे परिवार के साथ बैठते थे, सप्ताह में एक बार, रात 9 बजे। चिंताओं और संघर्षों से भरा दिन बिताने के बाद लोग अपने परिवार के साथ बैठकर थोड़ा हंसते थे।
आज की पीढ़ी की अपनी दुनिया है। उनके पास मनोरंजन के अपने साधन हैं, जिनके द्वारा वे कभी भी कुछ भी देख सकते हैं। मुझे यकीनन लगता है कि यह नई सीरीज परिवार को एक साथ लाने की वही संस्कृति लाएगी, जैसा पुरानी वागले की दुनिया ने किया था। यह मौजूदा पीढ़ी के लिये एक प्रेरणा बन सकती है, उन्हें परिवार, व्यंग्य, व्यंग्य की बारीकी, जीवन की अवधारणा और हर स्थिति में हास्य उत्पन्न करने के सच्चे मायने सिखा सकती है। इसका अनुभव करना युवा पीढ़ी के लिये एक खूबसूरत बात होगी।
कोई संदेश
यह साल श्री आर.के. लक्ष्मण की जन्म शताब्दी का है और हमें खुशी है कि उनके सबसे चहेते क्रिएशंस में से एक ‘वागले की दुनिया’ की वापसी हो रही है। यह मेरे परिवार और मेरे, सोनी सब, हैट्स ऑफ प्रोडक्शंस और सभी कलाकारों की ओर से सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि है। उन्हें खुशी होगी और वे शुक्रगुजार होंगे कि यह हो रहा है।