पी एफ आई : सुरक्षा एजेंसिया का कसता शिकंजा
लेखक : लोकपाल सेठी की रिपोर्ट 

(वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक) 

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प्रवर्तन निदेशालय के जिस ढंग से केरल में पोपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के एक बड़े पदाधिकारी को मनी लांड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है उससे यह साफ झलकता है कि सुरक्षा एजेंसिया पूरी तरह से उन कट्टरपंथी इस्लामिक तत्वों, जो देश के विभिन्न भागों में या तो साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने अथवा दंगे  भड़काने की हर संभव कोशिश कर रहे है, इनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही है और पूरी तरह से चौकस हैं। 

चूँकि पीएफआई और इसके अनुसांगिक संगठनों का मुख्यालय केरल में है इसलिए सुरक्षा एजेंसियों की सबसे अधिक नज़र केरल पर ही है। जिस शख्स रयुफ शरीफ को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया है वह पीएफआई के छात्र संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया का राष्ट्रीय महामंत्री है। यह मामला उत्तर प्रदेश में हाथरस की उस घटना से जुड़ा हुआ है जिसमें एक दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दिए जाने का आरोप है। घटना के कुछ दिन बाद दिल्ली से यहाँ आ रहे 4 मुस्लिम युवकों को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था, ये सभी इस संगठन के थे। पुलिस का कहना है उन्हें मिली जानकारी के अनुसार वे इस इलाके का साम्प्रदायिक माहौल  बिगड़ने के उद्देश्य से वहां जा रहे थे। इनमें से तीन दिल्ली की जामिया मिलिया के छात्र थे तथा कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया के सक्रिय सदस्य थे। 

इनका मुखिया सादिक कप्पन नाम का एक युवक केरल का रहने वाला है तथा उसका कहना है कि वह मलयालम  भाषा के एक समाचार पत्र तेजस का दिल्ली में नियुक्त मुख्य संवाददाता है और घटना के बारे में इस अख़बार के रिपोर्ट भेजने हेतु वहां जा  रहा था। यह समाचार पत्र पीएफआई का मुख पत्र है। लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है यह पत्र आज से दो साल पहले ही बंद हो चुका है। इसकी ख़बरों में हमेशा इस्लामिक कट्टरपंथी पुट होता था। यह अन्तराष्ट्रीय आतंकवादी ओसामा बिन लादेन, जिसे अमरीका की सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान के एबटाबाद में मार गिराया था, को हमेशा शहीद ही लिखता था। केरल के एक पत्रकार संगठन ने कप्पन के की रिहाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई  है। जहाँ उनकी और से नामी   वकील और कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल पैरवी कर रहे है। उत्तर प्रदेश सरकार ने जो विवरण पेश किया है उसमें कप्पन को “फर्जी पत्रकार“ बताया है और   वह  तीन अन्यों के साथ हाथरस केवल साम्प्रदायिकता फ़ैलाने के लिए जा रहा था। 

उधर प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में रउफ शरीफ के खिलाफ जो आरोप पत्र दाखिल किया है उसमें शरीफ के तीन बैंक खातो का विवरण देते हुआ कहा है कि   कप्पन सहित चारों मुस्लिम युवकों को भेजने का सारा खर्च शरीफ ने ही उठाया था। इन सभी को हाथरस जाते हुए 4 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश पुलिस टीम ने  केंद्रीय ख़ुफ़िया की सूचना के आधार पर पकड़ा था। तब से लेकर वे अभी जेल में ही हैं। हाथरस जाने का खर्चा उठाने के लिए शरीफ ने इनमें से एक युवक  अतीकुर रहमान के खाते में बड़ा ट्रान्सफर किया था। प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार वह विदेश भागने की तैयारी कर रहा था। निदेशालय के कहने पर गत 12 दिसम्बर को त्रिवेंद्रम अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इमीग्रेशन अधिकारियों ने उसे रोक लिया और प्रवर्तन निदेशालय ने उसे हिरासत में ले लिया। 

उसे पकड़ने से पहले प्रवर्तन निदेशालय ने उसके बैंक खातों को कई दिन तक खंगाल कर उसका विवरण तैयार किया था। इस विवरण के अनुसार पिछले कुछ समय से इसमें करोड़ों रूपये का लेन देन हुआ था। उसके कुल मिलकर तीन बैंक खाते थे। इनमें कुल मिलाकर लगभग 2.5 करोड़ रूपये की राशि आई थी। सारी की सारी राशि देश में कोरोना  के समय लॉक डाउन की अवधि में ही डाली गयी थी। वह काफी समय से ओमान में नौकरी कर रहा था लेकिन जिस समय यह राशि उसके खाते में आई वह देश में ही था। एजेंसियों  को इसमें समय समय पर ट्रान्सफर किये गए पैसों के स्रोत पर संदेह है। मसलन अप्रैल और जून के अवधि में नौफल शरीफ और रमीज़ अली नाम के दो व्यक्तियों ने इसमें लगभग 30 लाख रूपये डाले थे। 

पैसे डालने उद्देश्य में होटल का बिल के भुगतान की बात कही गयी थी। जबकि शरीफ का केरल में कोई होटल अथवा ऐसा कोई व्यवसाय नहीं है। यह बात भी सामने आई कि इस अवधि में शरीफ ने केरल में सम्पति और महंगी कारें खरीदने पर भारी राशि खर्च की थी। इसके अलावा कई अन्य लोगों के खाते में लगभग 35 लाख रूपये ट्रान्सफर किये थे। प्रवर्तन निदेशालय उन सभी लोगों के बारे में पूर्ण जानकारी जुटाने में लगी है जिन्होंने उनके खाते में पैसा डाला था या उसने खुद किसी अन्य के खाते में ट्रान्सफर किया था। प्रवर्तन निदेशालय को संदेह है कि शरीफ को बड़ी मात्रा में पैसा हवाला के जरिये भी मिला हो सकता है और उसने हवाला के जरिये ही कई अन्यों को  भेजा हो। जानकारों कहना है मामले की और गहरी जानकरी जुटाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय सारे मामले को जाँच के लिए नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी को सौंप सकता है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)