लेखिका : रश्मि अग्रवाल
नजीबाबाद, 9837028700
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अद्भुत है ये कृति!
सुनते ही शक्ति,
रूप उभरता है स्त्री का,
और शक्ति,
शक्ति प्रतीक है सत्ता का।
उस सत्ता का,
जो करती है निर्माण,
पोषण और विकास,
नारी रूप शक्ति का,
या सृजनकर्ता का,
बहुआयामी प्रतिभा का।
पुरुष ने शक्ति को,
स्त्री का वो रूप दिया,
जिसे कहते हैं,
सहचरी और भोग्या,
जानते हैं,
क्या हुआ परिणाम?
परिवारों में विघटन,
रूप हुआ बदरंग।
और यह सत्य भी,
कहाँ ख़त्म हुआ,
कि स्त्री केवल,
दिखती है माँ।