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किसी विषय से संबंधित केवल दो-चार वाक्यों या एक दो पुस्तकों के अध्ययन से उस विषय के विद्धान हैं, कह नहीं सकते। कभी-कभी उथली जानकारी के आधार पर स्वयं की विद्धत्ता प्रदर्शित करने की गलती हमें हास्यास्पद बना देती है। इसलिए जिस विषय की जानकारी न हो, उसकी चर्चा में शामिल तो हों पर दर्शक के रूप में।
ज्ञानार्जन के लिए सबसे महत्वपूर्ण, हम अपनी ज्ञानेन्द्रियों को सदा सजग और मस्तिष्क को खुला रखकर अपने से अधिक ज्ञान रखने वालों के तथा अपने से भिन्न या विपरीत विचार रखने वालों के विचारों को धैर्यपूर्वक सुनने-समझने का प्रयास करें ताकि ग्रहणशीलता, दृष्टिकोण की उदारता एवं ज्ञान की व्यापकता का विकास हो। इसलिए सर्वथा जिज्ञासु बनें रहना ही अपने ज्ञान के भण्डार को समृद्ध बनाना होता है। (लेखिका के अपने विचार हैं)
लेखिका : रश्मि अग्रवाल
नजीबाबाद
9837028700