विद्युत कम्पनियों में अनुकम्पा पर नौकरी देकर उजाड़ दिया भविष्य

अब पापा समय से पूर्व स्वर्ग चले गए तो इसमें हमारा क्या कसूर हैं साहब


विद्युत कम्पनियों में अनुकम्पा पर नौकरी देकर उजाड़ दिया भविष्य, पीड़ा कोई नहीं समझ रहा


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जाफर लोहानी 


मनोहरपुर (जयपुर)। जयपुर डिस्कॉम सहित प्रदेश की बिजली कंपनियों की यह कैसी अनुकंपा है सहायता व सुरक्षा के नाम पर मृतक परिजनों के आश्रितों को नौकरी तो उन्होंने दे दी लेकिन इस रूप में अधिकांश युवाओं का भविष्य ही बर्बाद हो गया है। यह अब जिम्मेदार अधिकारी समझने को तैयार ही नहीं है। घर में पिता की मौत के बाद आश्रितों को नौकरी का नियम ठीक है। लेकिन इस नियम ने युवाओं के भविष्य को पूरी तरह से ना केवल चौपट कर दिया है बल्कि उनमें एक ऐसी कुंठा को भी बल दिया जिससे सीधे तौर पर युवाओं के मानसिक बीमार होने की आशंका ज्यादा प्रबल हो गई है। 


यह विडंबना ही है कि ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद भी अनुकंपा के आधार पर नौकरी पर लगे अधिकांश युवा अभी भी अपने से कम पढ़ें लिखे हुए लोंगो को पानी पिलाने के लिए विवश है अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाए इन सहायकों के लिए प्रमोशन का रास्ता डिस्कॉम प्रशासन की बेरुख़ी रवैये के कारण खुल ही नही रहा। 


इन युवाओं के लिए जिनके पास बीसियों डिग्रियां है। डिस्कॉम प्रशासन नियमों के लकीर को छोड़ने को ही राजी नहीं हो रहा है ऐसे दर्जनों हैल्पर आज पोस्ट ग्रेजुएट हो चुके हैं लेकिन वह अफसरों को पानी और चाय पिलाने का ही काम कर रहे हैं। दरअसल डिस्कॉम के योग्यता धारी कर्मचारियों ने प्रबंधक निदेशक जयपुर को कई पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें अधिमान्यता के आधार पर सहायक प्रथम व दिव्तीय के पदों पर नियुक्ति दी गई थी गई थी। 


जब नियुक्ति दी गई कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में पढ़ रहे थे कुछ ने माध्यमिक व उच्च माध्यमिक परीक्षा तक पास कर रखी थी तो भी उन्हें सहायक प्रथम के पद पर ही पद स्थापित किया गया जबकि राजस्थान सरकार के नियमों में उपरोक्त योग्यताधारियों को कनिष्ठ लिपिक बनाए जाने का स्पष्ट प्रावधान है। वर्तमान में अधिकांश सभी स्नातक व स्नातकोत्तर हो चुके हैं यही नहीं अधिक पढ़े लिखे होने के कारण इनसे लिपिकीय कार्य भी करवाया जा रहा है जिससे इन्हें काफी अनुभव हो चुका है। 


दूसरी और डिस्कॉम में लगातार कॉमर्शियल असिस्टेंट प्रथम व दिव्तीय के पद पर सीधी भर्ती की जा रही है और खेद का विषय है की भर्ती के कुछ माह बाद ही 50 से 60 प्रतिशत अभ्यर्थी नौकरी छोड़ कर चले जाते हैं। इससे निगम को कर्मचारियों की कमी खलती है। साथ ही भर्ती के लिए ही निगम लाखों रुपए खर्च कर देता है। ऐसे में निगम के प्रबंधक निदेशक से इन कर्मचारियों ने आग्रह किया हैं कि उन्हें लिपिक पद पर पद स्थापित किया जाए। 


समन्वय समिति ने पूर्व में बनाया है क्लर्क


इन कर्मचारियों का कहना हैं कि सहायक प्रथम व द्वितीय को योग्यता के आधार पर पूर्व में 74 वीं समन्वय समिति की बैठक में 16 अगस्त 2004 की पैरा संख्या 74.11 में लिए गए एक निर्णय में आदेश संख्या 41 प्रे. 89, 5 मई 2005 व आदेश संख्या 288 में प्रे. 607, 8 नवम्बर 2005 और आदेश संख्या 374 प्रे 1266, 4 जनवरी 2006 के तहत पूर्व में कई लिपिकों को सहायक के पद से पद्दोनत किया जा चुका हैं तो फिर अब नकारात्मक रवैया क्यों?


फैडरेशन सहित कई संगठनों ने मांग उठाई हैं


आल राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज फैडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कुमावत, प्रेदश महामंत्री मोहम्मद यूसुफ क़ुरैशी, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष हाजी मोहम्मद मेहराज व प्रदेश संगठन मंत्री चक्रवती शर्मा, मनीष बैरवा सहित कई संगठनों के पदाधिकारियों ने राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर मृतक आश्रितों को लिपिक पद पर पदस्थापित  करने की मांग की हैं।