लघु कथा : लाली


सांकेतिक फोटो 


एकमात्र संतान... बेटी को शिक्षित करने के लिए, माँ ने घर गिरवी रख दिया। स्नातक कर बेटी ने घर में बुटीक खोल लिया। दिन-रात परिश्रम करती.... छोटे-बड़े आर्डर आने लगे और उसके सपनों ने आकार ले लिया। पाई-पाई जोड़... घर के काग़ज छुड़ाने... जमींदार की कोठी की ओर निकली... माँ.... बेटी के स्वागत को तैयार।
 


एक घंटे पश्चात्.... गाँव वाले.... बेटी को थामे.... फटे वस्त्र, नुचा-खुचा शरीर... और न जाने क्या-क्या? बर्बादी की दास्तान सुना रहे।
 


ये! वही... युद्ध में शहीद... फौजी की बेटी लाली थी....। (लेखिका के अपने विचारों पर आधारित)



लेखिका : रश्मि अग्रवाल
नजीबाबाद, 9837028700