भारी कौन पड़ेगा आप या कोरोना ?


डॉ. पी.डी. गुप्ता
पूर्व निदेशक ग्रेड साइंटिस्ट, सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद
ई-मेल: pdg2000@hotmail.com मोबाइल : 080728 91356


 
क्रमिक विकास (इवोल्यूशन) के पैमाने पर वायरस सबसे नीचे आता है और मनुष्य सबसे ऊपर यह तो प्राय: निर्जीव ही है यह सजीव जब होता है जब यह किसी जीवित कोशिका में प्रवेश करता है। कोरोना इन्फ्लुएंजा वायरस परिवार का एक निम्न रूप से विकसित प्राणी है, जो हम मानव जाति के उच्च रूप से विकसित प्रजाति से सम्बन्ध रखते हैं। हम हमेशा हमारे शरीर में "माइक्रोबायोटा"  के रूप में लगभग 2 किलोग्राम वजन के बराबर कोरोना परिवार और उसके सम्बन्धियों जैसे बैक्टीरिया, वायरस, कवक और पौधों व जानवरों के कुछ प्रोटोटाइपों का वहन करते रहते हैं। फिर कोरोना को लेकर इतना बबाल क्यों मच रहा है ?  सार्स कोवि (SARS-CoV-2, COVID-19) कोविड-19 का कारण बनने वाला कोरोना वायरस शुरूआत में सबसे अधिक संक्रामक प्रतीत होता है, और जब तक लोग जान पाते हैं उससे पहले संक्रमित हो जाते हैं। संक्रमण के आरंभिक दशा में  ही वायरस का उत्पादन इतना अधिक हो सकता है कि मनुष्य के शरीर की रोग निरोधक शक्ति वायरस को मारने और लक्षणों को दर्शाने में असमर्थ बन जाए। इस रोग से संक्रमित 77 जोड़ों पर विश्लेषण पर शोधकर्ताओं ने पाया कि  2-3 दिन पहले ही रोगी में संक्रामकता शुरू हो जाती है और 7 दिनों तक यह अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाती है। 



कोरोना की एक और दिलचस्प बात है कि यह वायरस पुरुष और स्त्रियों को समान रूप से प्रभावित नहीं करता है। यह ज्यादातर  पुरुषों को संक्रमित करता है। क्या इसका मतलब यह निकाला जा सकता है कि पुरुषों की रोग निरोधक क्षमता स्त्रियों की तुलना में कम होती है? इसका उत्तर यही कहा जा सकता है कि कुछ फर्क तो होता है, लेकिन इसके अलावा कुछ आनुवंशिक या अर्जित कारण भी इस दिशा में काम करते हैं। कुछ मरीजों में वायरस का प्रकोप औरों की तुलना में अधिक होता है। अंतत: निर्भर करता है कि व्यक्तिगत  शरीर की संक्रमकता के प्रति प्रतिक्रिया कैसी रही। स्त्रियों के कम संक्रमित होने के पीछे एक और प्राकृतिक कारण है। वह है। उनमें उपस्थित दो 'एक्स' गुणसूत्र (क्रोमोजोम) जिसके कारण महिलाओं में पुरूषों के मुकाबले अधिक रोग निरोधक शक्ति होती है। 


वैज्ञानिक अब यह पता करने में जुटे है कि विशेष 'एचएलए' जीन युक्त होने के कारण  किसी व्यक्ति को कोरोना वायरस से कम या अधिक प्रतिरक्षा मिलती है। कथित रूप से प्रशिक्षित प्रतिरोधक क्षमता (रोग निरोधक क्षमता) वायरस  संक्रमण सामना करने में सशक्त बनाने में अहम् भूमिका निभाता है। कुछ शोधकर्तााओं का अनुमान हैं कि यदि पूर्व में आपको कोरोना संक्रमण हुआ है, तो हो सकता है की COVID -19 के प्रति आपकी प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो, मतलब यह नहीं कि आप पूरी तरह सुरक्षित हों। 



नए शोध से पता चला है कि धूम्रपान करने वाले लोगों में इस वायरस को ग्रहण करने वाले संग्राहक अधिक होते हैं। इससे संक्रमण प्राप्त करने की सम्भावना इनमें अधिक होती है। वैज्ञानिक 'हर्ब' का कहना है कि यदि आप धूम्रपान करते हैं तो वायरस का अधिक से अधिक कोशिकाओं में प्रचुर मात्रा में पहुंच पाना आसान हो जाता है। 


एक बार COVID-19 कोशिकाओं में प्रवेश कर जाता है तो प्रतिरोधकता से सम्बंधित सिग्नलिंग प्रोटीन, जिन्हें साइटोकाईन कहा जाता है, चेतावनी की घंटियां बजाते हुए सम्पूर्ण शरीर के कोशिकीय प्रतिरक्षा बल को घटनास्थल पर लेकर खड़ा कर देता है। ये साइटोकाईन  सिग्नलिंग प्रोटीन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को खड़ा करने तथा ऊतक की मरम्मत करने का काम करते हैं। 


कोरोना वायरस से महिलाओं की तुलना में पुरुषों के मरने की संभावना अधिक हो सकती है, इसके लिए वैज्ञानिकों ने हार्मोनों की प्रमुख भूमिका को माना है। पुरुषों में पाई जाने वाली टेस्टोस्टेशन हार्मोन रोग निरोधक प्रणाली को बाधित करता है और स्त्रियोँ में पायी जाने वाली जानी ईस्ट्रोजन हार्मोन रोगनिरोधक प्रणाली को उत्तेजित करता है। यद्यपि यह एक कमजोर सबूत है, फिर भी गर्भवती महिलाएं, जो रोग निरोधक या प्रतिरक्षा क्षमता में अक्षम रहती हैं - और जिनमें उच्चस्तरीय ईस्ट्रोजेन तथा प्रोजेस्टेरोन पाए जाते हैं, रोग का हल्का दौर देखा जाता है। अत: एक स्त्री होना इस वायरस से बचाव करता है तथा गर्भावस्था में भी सुरक्षा देता है। जो हमें हार्मोनों की भूमिका के बारे में सोचने पर मजबूर करता है।



लेकिन कुछ शोधकर्ता रोग प्रतिरोधक क्षमता में लिंगभेद के बारे अपने खोज को बढ़ाते हुए चेतावनी देते है कि - हार्मोन की भूमिका वाला सिद्धांत हर जगह सही साबित नहीं होता है। यह इसलिए कि कोविड-19 के मामलों में वयोवृद्ध (बड़ी उम्र) महिलाएं उनकी आयु के पुरूषों की तुलना में अधिक रोग प्रतिरोधकता रखती प्रतीत होती है।  जैसाकि विधित है, रजोनिवृत्ति के बाद स्त्रियों में हार्मोनों में काफी तेजी हो जाती है।   


कोविड-19 से प्रतिरक्षा का मामला कई जैविक तथ्यों पर निर्भर करता है। रोग निरोधक क्षमता हर व्यक्ति के मामले में  अलग-अलग होती है।  इस कारन से ही कुछ लोग इस वायरस के शिकार हो जाते हैं और कुछ नहीं। इन भिन्नता प्रदान करने वाले तथ्यों में स्त्री प्रधान हार्मोन इस्ट्रजन एक है।  जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली में संभावित भूमिका देखी जा रही है। यह इसलिए कि स्त्रियों में दो 'एक्स' गुणसूत्र होते है - जिनमें रोग निरोधक या प्रतिरक्षा प्रणाली से सम्बंधित जीन पाए जाते हैं। जैसाकि सबको पता है, पुरुषों में  एक ही 'एक्स' गुणसूत्र होता है।  चूहों पर इससे सम्बंधित किए गए प्रयोगों में देखा गया है कि - सार्स (SAARS) कोरोना वायरस के प्रति मादा चूहों की तुलना में नर चूहे अधिक संवेदनशील हैं।  जो आयु के आधार पर अधिक होती जाती है। (लेखक के अपने विचार एवं अध्ययन है)