लॉक डाउन के बाद आपकी दिनचर्या की डायरी (क्या करें और क्या ना करें) 

सोशअल डिस्टेंस और रोग प्रतिरोधक क्षमता हर स्थिति में बनाये रखना सबसे जरूरी है। नैपकिन, रुमाल, कैप, हैलमेट, फुल शर्ट का उपयोग निहायत जरुरी है। भरपूर नींद ले, किसी को भी खांसी, छींक या बुखार हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें, मगर दूरी से। खुद के खुद डॉक्टर खुद कतई ना बनें। पूरे संयम और अनुशासन में रहना आपके ही नहीं, बल्कि परिवार के लिए भी सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है।




(देवास के बीमा शासकीय डॉ. अनिल भदौरिया के सुझावों पर आधारित इंदौर से नवीन जैन की विशेष रिपोर्ट)


लॉक डाउन खुलने में अभी समय है मगर इसके बाद की जीवनचर्या की डायरी अभी से बनाना शुरू कर दिया जाए तो अच्छा प्रयोग सिद्ध हो सकता है। इस संबंध में डॉ. अनिल भदौरिया कहते है कि सामाजिक दूरी काफी लंबे वक्त तक बनाए रखनी पड़ेगी। किसे हाथ मिलाना या ताली देना भारी भूल का सौदा साबित हो सकती है। आते जाते रेलिंग, कुर्सी के हाथों को न छूना है। दरवाजों के नॉब से भी बचें, यदि छूना भी पड़े तो हाथ सेनेटाइजर कर ले, बाहर के जूते, चप्पल बाहर और अंदर के अंदर ही रखें। पूरी आस्तीन का कुर्ता, शर्ट्स पहने, बाहर निकलने पर मास्क, टोपी, चश्मे का उपयोग अनिवार्य हैं। कोई अचानक खांसने लगे या छींकने लगे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। जिस कमरे में काम करते हों वहां से क्रॉस वेंटिलेशन का पूरा ध्यान रखें। क्योंकि यदि उस कमरे में कोई संक्रमित व्यक्ति बैठता हो, वह छींक पड़े या खांसने लगेगा तो वायरस बाहर जा सकते हैं, लेकिन सेंट्रल ऐसी या रूम ऐसी कतई ना चलानी। क्योंकि कम तापमान में उक्त वायरस ज्यादा रुकता है। कोविड-19 में मलेरिया तथा अन्य सामान्य बिमारियों की एन्टी बायोटिक्स दवाईयां लाभकारी सिद्ध हुई हैं। 



मगर इसमें भी डॉक्टर का परामर्श लें। खुद कभी खुद का डॉक्टर ना बनें। घर हो या ऑफिस सभी जगह पंखे चलाएं। बस स्टैंड, रेल्वे स्टेशन और एयर पोर्ट्स पर ज्यादा ना रुकें या भीड़ भाड़ से बचें। सोशल डिस्टेंस सबसे जरूरी नुस्खा है। दस्ताने हरदम पहनें, मास्क, हैलमेट लगाकर चलना भी कोई मुश्किल नहीं है।इन सभी को फिलहाल आदत बना ही लें। कोई खास कसरत नहीं करनी पड़ेगी इसमें। ऐसे में जगह-जगह ऐसे जादूगरों की फसलें उग सकती है जो आर्थिक लालचों के चलते इस वायरस को जड़ से ही समाप्त करने का दावा करदें।ऐसे लोग अक्सर झाड़ फूंक से काम लेते हैं, इनसे हर कीमत पर बचें, न ही संपर्क में रहें। 


डॉ. अनिल भदौरिया के कहने का मतलब यह भी निकलता है कि अभी हमने आधी जंग ही जीती हैऔर अभी तक कोरोना की बारी थी और अब हमारी बारी है।   घरों में बंद रह कर, हमें कदापि नहीं मान लेना चाहिए हमने कोरोना को हरदम के लिए हरा दिया है । पूरा ध्यान रखें कि इस महामारी के वाहक या केरियस या बीमार सड़कों पर घूम रहे होंगे। डॉ. भदौरिया लॉक डाउन के दौरान आम भारतीयों के संयम की प्रशंसा करते हुए कहते हैं अभी और ज्यादा संयम की जरूरत रहेगी। कम से कम ऐसी संयम और अनुशासन की जरूरत पड़ती रहेगी। डॉ. भदौरिया के अनुसार ऐसा भी समय आ सकता जब कोविड-19 टेस्ट नेगेटिव या पोसिटिव टेस्ट अनिवार्य कर दिया जाए। ऐसे समय के लिए भी तैयार रहना चाहिए।



नवीन जैन, इंदौर