(महिला दिवस पर विशेष)
एहसास - ए - कमतरी का एहसास
दिलाने वालों
जिसके दम पर आज तक कायनात
है आबाद
उसे ख़ुद से कमतर समझ कर उपहास
उड़ाने वालों
जिस कोख़ से जन्म लिया उसी कोख की
अस्मिता पर कलंक लगाने वालों
कदम कदम पर औरत को बना निशाना
उसके धैर्य की परीक्षा लेने वालों
जिसके स्तनों का दूध पीकर पले बड़े हुए
उसी का दूध लज़ाने वालों
मत भूलो जिस दिन औरत का धैर्य
चुक जाएगा
विकराल काल अट्टहास करेगा धरा पर
सृष्टि चक्र सदा के लिए रुक जायेगा
लेखिका : दीप्ति सक्सेना
जयपुर