जिन जातको की कुंडली में चतुर्थ भाव में चंद्र मंगल की युति होती है ऐसे जातक बहुत Moody होते हैं। ज्योतिष में चतुर्थ भाव -माता, वाहन सम्बन्धी, घरेलू वातावरण, गुप्त प्रेम सम्बन्ध, हृदय, आवास इत्यादि का परिचायक भाव है।
इस भाव में जब कभी चन्द्र और मंगल की युति होगी तो एक ग्रह स्वभाव से शीतल और दूसरा गरम तो मैंने ऐसा देखा है कि ऐसा जातक पल-पल में परिवर्तित मन: स्थिति वाला होता है जैसे कि ये कविता की पंक्तियाँ....
पावस ऋतु थी पर्वत प्रदेश
पल पल परिवर्तित प्रकृति वेष....
अर्थात बहुत ज्यादा Mood स्विँग्स
बहुत शांत रहने की कोशिश करेगा ऐसा जातक किंतु फ़िर भी छोटी से छोटी बात भी यदि उसके मन के अनुकूल नहीं है तो जल्दी ही भड़क जायेगा इसको ऐसे समझे जैसे कि बिल्कुल ठंडी दूध या दही को यदि हम आग पर रख कर छौंक लगा दे तो वो फट जायेगा और उसका स्वरूप परिवर्तित हो जायेगा
बिल्कुल यही बात यहाँ पर भी है, उसे ऐसा भ्रम बना रहेगा कि घर का वातावरण भी उसके अनुकूल नही है। घर मे कोई.उसे नहीं समझता और कोई भी उसकी बात नहीं मानता।
जबकि यथार्थ में ऐसा होता नही.है। एक और बात ऐसे योग वाले जातक को अपने जन्मस्थान से दूर जाकर ही नौकरी और व्यवसाय में सफलता मिलती है।
स्वयं का आवास भी जन्म स्थान से दूर ही होता है।
अपना मकान देर में बनता है पर उत्तम आवास होता है।
माता का सानिध्य ज्यादा नही मिलता।
चंद्र मंगल युति अत्यंत शुभ धन योग है।
तो धन की कमी नहीं रहती किंतु मानसिक शांति कम ही रहती है।
चतुर्थ भाव गुप्त प्रेम सम्बन्धों का भाव भी है तो जब कभी इस भाव मे चंद्र मंगल युति बनेगी तो ऐसा जातक प्रेम सम्बन्ध बनाना तो चाहेगा किंतु वहाँ भी उसे सफलता कम ही मिलेगी जो उसके लिये अवसाद और मानसिक अशांति का कारण भी बनेगी। ऐसे योग वाले जातक को अपना मन शांत रखने का प्रयास करना चाहिये और भगवान शिव की शरण मे जाना चाहिये। (स्वानुभूति तथ्य, स्वयं के शोध पर आधारित)
ज्योतिषाचार्या रश्मि चौधरी
कोटद्वार (Uttarakhand)
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