मैं  भारत की नारी हूँ

 

मैं भारत की नारी हूँ

पर लगता है तरकारी हूँ

 

मैं बगिया फुलवारी हूँ

मैं आंगन की क्यारी हूँ

पर क्या मैं  सत्कारी हूँ

 

मैं वसुधा  ,ममता ,  माँतारी हूँ

मै जननी पालनहारी हूँ

पर क्यो में हिम्मत हारी हूँ

किस नजर से बेबस हारी हूँ?

 

मैं सहज सरल सुकुमारी   हूँ

मैं ज्वालाओं पे  वारी हूँ

पर क्या बुनियाद हमारी है

 

मैं धूप छांव  हितकारी हूँ

 

मैं एक गाय   दुधारी हूँ

मैं देवभूमि  पर बलिहारी हूँ?

 

देखो मैं सज सॉवरी हूँ

माँ , बहन, एक नारी हूँ

यह प्रश्न  हमारा जारी है

 

कब तक यह अत्याचारी है

 

नवरात्रि के पावन पर्व की असीम शुभकामनाए

 

ममता सिंह राठौर