आज तोताराम आया तो उसकी मुख-मुद्रा से खुशी और चिंता के मिश्रित भाव टपक रहे थे । जब उसे बैठने के लिए स्टूल दी तो कहने लगा- मेरे घुटने नहीं मुड़ते हैं । जब हमने उसे खड़े-खड़े ही चाय का कप पकड़ाया तो कहने लगा- क्या बताऊँ भाई साहब, मुझे तो कुहनियाँ मोड़ने में भी परेशानी हो रही है, पर खैर! किसी तरह चाय तो पीनी ही है । उसी समय जब पत्नी रसोई से बाहर निकली तो तोताराम ने गर्दन घुमाने की बजाय रोबोट की तरह पूरा घूम कर नमस्ते की । हमें लगा कि उसके लिए गर्दन घुमाना भी मुश्किल हो रहा है ।
हमने कहा- तोताराम, हड्डियों के किसी अच्छे डाक्टर को दिखा । लगता है तेरे तो सारे जोड़ ही जाम हो गए हैं ।
वह बोला- डाक्टर को दिखाने की कोई ज़रूरत नहीं है । मुझे लगता है कि मैं धीरे-धीरे लौह पुरूष होने लग गया हूँ ।
हमें चिंता की घड़ी में भी हँसी आ गई, कहा- तोताराम, लौह पुरुष तो इस देश में एक ही हुए हैं - सरदार पटेल । हाँ, आजकल कुछ और लोग भी माथे पर लौहपुरुष की चिप्पी लगा कर घूम रहे हैं । पर इससे क्या होता है । लौह पुरुष पटेल ने तो चुपचाप ही राष्ट्रीय एकता का काम कर दिया । और ये बेकार की झाँय-झाँय करके राष्ट्रीय एकता का और सत्यानाश कर रहे हैं । पतली छाछ को राबड़ी बनने लायक भी नहीं छोडेंगे । पर तेरे लौह पुरुष वाले वहम को दूर करने के लिए हम दो प्रयोग कर सकते हैं ।
तोताराम ने कहा- फटाफट बता, जिससे स्थिति के अनुसार आवश्यक कार्यवाही की जा सके । हमने कहा- पहले तो यह तय करेंगे कि तू हाड-माँस का ही बना है या किसी धातु का । इसके लिए हम तेरे सिर पर खड़ाऊँ से प्रहार करेंगे । यदि भद-भद की आवाज़ आई तो तू हाड-माँस का है । और यदि खड़ाऊँ मारने से टन-टन की आवाज़ आई तो यह सिद्ध होगा कि तू धातु का हो चुका है । धातु टेस्ट पाजिटिव निकला तो तेरे शरीर पर चुम्बक घुमा-घुमा कर देखेंगे कि चुम्बक चिपकता है या नहीं । यदि चुम्बक चिपका तो यह माना जाएगा कि तू लोहे का हो चुका है ।
आजकल दूध, घी, नोट, स्टांप आदि न जाने क्या-क्या नकली आने लगे हैं । हो सकता है लोहा और चुम्बक ही नकली हों । इसके लिए एक और बड़ा टेस्ट करना पड़ेगा पर यह टेस्ट यहाँ नहीं हो सकता । इसके लिए तो तुझे कटनी (मध्य प्रदेश) ले जाना पड़ेगा । वहाँ पारस अग्रवाल नामक भा.जा.पा.का एक कार्यकर्ता रहता है । कुछ लोग जब अडवानी जी को लौह पुरूष की जगह मोम पुरूष प्रचारित करने लगे तो पारस जी ने टेस्ट करने के लिए अपनी पादुका फेंकी । पर वह लगी नहीं इसलिए टेस्ट की प्रक्रिया आगे नहीं चली ।
पर जब तेरा चुम्बक टेस्ट हो चुकेगा तो तुझे इन्हीं पारस जी के पास ले चलेंगे । उनके स्पर्श से यदि तू सोने का बन गया तो यह माना जाएगा कि तेरा लौहीकरण शुरू हो चुका है । पर यह भी सच है कि सोना बनने की स्थिति में तू लौह पुरुष न रह कर स्वर्ण पुरुष हो जाएगा । तब पता नहीं लोग तेरे हाथ पैर ही तोड़ कर न ले जाएँ । और यह भी हो सकता है कि पारस जी ही तुझे अपनी तिजोरी में बंद कर दें ।
वैसे तुलसीदास जी ने तो लोहे को कुधातु कहा है- "पारस परस कुधातु सुहाई ।" कुधातु बनने से तो अच्छा है कि सुमनुष्य ही बना रहे । हमारे भाषण से घायल से हो चुके तोताराम की ट्यूब लाइट अचानक जली, बोला -भाई साहब, डाक्टर के पास ही चलते हैं । अडवाणी जी के कम्पीटीशन में पड़कर बिना बात खडाऊँ से टाट कुटवाने से क्या फायदा ।(लेखक के अपने विचार हैं)
रमेश जोशी
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