तपस्वी सूर्यतापी राजा दौलत सिंह (लालपुरा) जो सूर्य की किरणों को शरीर में समा लेते हैं
जयपुर में सेंट लॉरेंस स्कूल के संस्थापक राजा दौलत सिंह (लालपुरा) अपने जमाने के सेन्ट जेवियर स्कूल के छात्र रहे है, ओल्ड बॉयस एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी रहे। वे एक दिन अनायास ही छत पर बैठे-बैठे रुटिन से हटकर लगातार सूरज की ओर देखने लगे और वो भी बिना आँखों को टिम-टिमाते हुए। उन्हें लगा कि सूरज की गर्माहट व सूरज की किरणें उनके शरीर में मुंह के जरिये पहुँच रही हैं। कुछ दिनों बाद उन्होंने नवरात्रि के अवसर पर वह कार्य किया जिसको देखकर लोग अचम्मित रह गए। राजा दौलत सिंह नवरात्रि के नौ दिनों तक बिना कुछ खाए रोजाना सूरज से आंख मिलाते रहे, इस दौरान रोजाना आधा घंटे से एक-एक घंटे तक सूरज से नजरें मिलाते हुए सूर्य देवता से बात करते हुए सूरज की किरणें ग्रहण कर अपने शरीर से दर्शाते रहे तब से आज तक लगातार सूर्य से खुली आँखों से नजरें मिलाते रहते है। करीबन 15 साल से लगातार बिना किसी मौसम के सूरज की तेज रोशनी को बिना किसी चश्मे के निहारते रहते है। इस विषय पर हमने अनेक नेत्र रोग चिकित्सकों से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि खुली आंखो से सूरज की ओर देखने से आँखों के "रेटिना" सहित आंखो के अन्य भागों में नुकसान पहुँच सकता है, और हम किसी भी व्यक्ति को यह सलाह नहीं देते कि वे राजा दौलत सिंह की तरह खुली आँखों से सूरज को देखें। इस निष्कर्ष पर पहुँचने के बाद हमें लगा कि तपस्वी राजा दौलत सिहं लालपुरा जिन्हें तपस्वी सूर्यतापी भी कहा जाता है ऐसा अद्भुत काम करने वाले व्यक्ति दुनिया में शायद ही कोई और हो।
साक्षात्कार : समीर अहमद
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