बसंती की इज्ज़त का सवाल


जब हेमा मालिनी ने अपनी किशोरावस्था में ड्रीम गर्ल के रूप में सपनों का सौदागर की नायिका की भूमिका में फिल्मी दुनिया में प्रवेश किया था उस समय हमारी और तोताराम की उम्र आश्रम-व्यवस्था के अनुसार गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने की थी । यह बात और है कि तब तक बालविवाह के कारण हम दोनों के दो-दो बच्चे हो चुके थे । हेमाजी का जादू कुछ ऐसा चला था कि किशोरों से लेकर वृद्ध तक दोषपूर्ण सपने लेने लगे थे । सपने तो सपने हैं । कोई भी हजारों लोगों के सपने में एक साथ आ सकती है । वास्तविक जीवन में तो यह सौभाग्य केवल एक को ही मिल सकता है । सो यह सौभाग्य अपने समय के ही मैन धर्मेन्द्र को मिला । दोनों की सर्वाधिक प्रसिद्व फ़िल्म थी- शोले जिसमें हेमा जी बसंती बनी थीं और धर्मेन्द्र वीरू । गंगा-जमुना में नायिका का नाम था धन्नो पर शोले तक आते-आते धन्नो घोड़ी हो गई । पर रुतबे की बात है, ३०-३२ वर्षों बाद भी किसी ने घोड़ी का नाम बसंती रखने की हिम्मत नहीं की ।


आज जब तोताराम आया तो दौड़ने वाले जूते पहने हुए था और हाथ में थी एक लाठी । बैठने को कहा तो बैठा भी नहीं । बोला- जल्दी तैयार हो जा, डीग-कुम्हेर चलेंगे, बसंतीकी इज्ज़त खतरे में है । हमने कहा- गब्बर सिंह तो मर चुका । अब कौन नया गब्बर सिंह पैदा हो गया? वैसे असल बात यह है कि ज़िम्मेदारी वीरू की है । हम कहानी को नहीं बदल सकते । कहानी के अनुसार इज्ज़त ज़रूर बचेगी और बीरू ही बचायेगा ।


तोताराम को गुस्सा आ गया, बोला- यह कुतर्क करने का समय नहीं है, कर्म करने का समय है । डीग-कुम्हेर में चुनाव हो रहे हैं । हेमा जी ने कहा है- मेरी इज्ज़त के लिए दिगंबर सिंह को जिताओ । सो चल हेमा जी इज्ज़त के लिए चाहे लाठी चलानी पड़े, चाहे नकली वोट डालना पड़े पर दिगंबर सिंह को ज़रूर जिताएँगे । हमने कहा- तुझे पता है सामने कौन है? राजा विश्वेन्द्र सिंह हैं । बंदूक रखते हैं । जँच गई तो टपका देंगे । धरी रह जायेगी सारी मर्दानगी । फिर छठे वेतन आयोग के पेंशन का एरियर कोई और ही लेगा । और फिर हम कहाँ-कहाँ जायेंगे? आज बसंती की इज्ज़त दाँव पर लगी है, कल जयाप्रदा की दाँव पर लगेगी, परसों मायावती, नरसों जय ललिता । किस-किस के लिए सर फुड़वाते फिरेंगे? ये जानें इनका काम । और पहले भी तो इसी इलाके से पुकार आ रही थी- भरतपुर लुट गया हाय मेरी अम्मा । तब किसीने क्या कर लिया? गरम पानी थैली भर रखी है, आ घुटने सेंक ले । खड़े-खड़े दुखने लगे होंगे ।


तोताराम झल्ला गया, बोला- लानत है तेरी मर्दानगी पर! और दौड़ता हुआ डीग-कुम्हेर की तरफ भाग लिया । हमें उसकी सकुशल वापसी का इंतज़ार है। (लेखक के अपने विचार हैं)


रमेश जोशी 
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